पहले खेतों की पहचान, फिर खेती नष्ट, उसके बाद एफआईआर और गिरफ्तारी
राज्य से नक्सलवाद को खत्म करने के लिए झारखंड पुलिस का अभियान लगातार तो चल ही रहा है। नक्सलवाद के पनपने के कारण राज्य में अफीम की खेती का जो चलन बढ़ गया था, उसके भी खात्मे के उपाय राज्य सरकार और राज्य की पुलिस लगातार कर रही है। चूंकि अफीम की खेती झारखंड के सुदूर और घनघोर इलाकों में की जाती है, इसलिए उसकी रोकथाम में कई दिक्कतें भी आती हैं। लेकिन झारखंड पुलिस ने उसका भी उपाय खोज लिया है। अब राज्य में अफीम की खेती को नष्ट करने के लिए पुलिस ड्रोन की मदद ले रही है।
खबर खूंटी जिले से है। खूंटी वर्षों से अफीम की खेती का गढ़ रहा है। लेकिन इसकी खेती पर नकेल कसने के लिए झारखंड पुलिस ने कमर कस ली है।
ताजा जानकारी के अनुसार, रांची से सटे सोयको थाना के निकट जिवरी गांव में 25 एकड़, मारंगहादा थाना क्षेत्र के सिरूम व हुंडुरडीह में 15 एकड़ खूंटी सदर थाना क्षेत्र अंतर्गत दबगना, सिलादोन व बरबंदा में लगभग 20 एकड़, मुरहू थाना क्षेत्र के ईठे, पोकला में 20.31 एकड़, अड़की थाना क्षेत्र के गीतिलबेडा, सोनपुर में 15 एकड़ में लगे अवैध अफीम की फसलों को नष्ट किया गया। अब तक पुलिस के द्वारा लगभग 1200 एकड़ में लगे अफीम के पौधों को विनष्ट किया गया।
ड्रोन और तकनीक के सहारे खेतों की हो रही पहचान
अफीम की खेती करने वाले जितनी चालाकियां बरत रहे हैं, उसका जवाब भी पुलिस उसी हिसाब से दे रही है। पुलिस ड्रोन के साथ-साथ तकनीक का भी इस्तेमाल अफीम के खेतों की पहचान के लिए कर रही है। पहले ड्रोन के सहारे उड़ाकर अफीम के खेतों की तस्वीरें ली जा रही हैं, उनका जीआर रिकॉर्ड किया जा रहा है। फिर शुरू हो रही है कार्रवाई। फसलों को नष्ट करने के बाद पुलिस एफआईआर और गिरफ्तारी भी कर रही है। पुलिस की इस कार्रवाई से अफीम की खेती करने वालों में हड़कम्प मच गया है। खूंटी जिले के उपायुक्त लोकेश मिश्रा और पुलिस अधीक्षक अमन कुमार अवैध अफीम की खेती को लेकर सख्त हैं। उनके निर्देश में यह कार्रवाई की जा रही है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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