केसीआर-ओवैसी की किला भेद पायेगी BJP?
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा की महा विकास अघाड़ी को भेद कर भाजपा ने अपने साम्राज्य का और विस्तार कर लिया है। हालांकि वास्तविक रूप में उसी के हिस्से में आयी महाराष्ट्र की सत्ता घूम कर उसी के पास आयी है। महाराष्ट्र की सत्ता पर हथियाने के साथ देश के 29 राज्यों में से 20 पर भाजपा की बादशाहत कायम हो गयी है। लेकिन भाजपा इतने से ही संतुष्ट नहीं है। उसकी निगाहें अब दक्षिण के राज्यों पर भी पड़ गयी है। आज से हैदराबाद में भाजपा की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शुरू हो रही है। इस बैठक में भाजपा निश्चित रूप से दक्षिण के राज्य तेलंगाना को फतेह का प्लान तैयार करेगी।
भाजपा तेलंगाना को फतेह करना कितना आसान होगा यह तो आने वाला वक्त बतायेगा, इस समय यहां टीआरएस की सरकार है और ओवैसी की पार्टी उसे समर्थन देती है। यह वही टीआरएस प्रमुख केसीआर हैं जो इस समय बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों की एकजुटता तैयार करने की कोशिश में लगे हुए हैं। अगर भाजपा यह किला भेद पाती है तो यह टीआरएस के केसीआर को करारा जवाब होगा, हालांकि यह काम इतना आसान नहीं है। ओवैसी और बीजेपी के बीच जो छत्तीस का आंकड़ा है वह भी जगजाहिर है।
18 वर्षों बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक
2-3 जुलाई को हैदराबाद में भाजपा ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। यह बैठक 18 सालों हो रही है। बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी 3 जुलाई को शामिल होंगे। हैदराबाद में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर बीजेपी के नेता तेलंगाना की सत्ता हासिल करने के लिए प्लान पर विचार करेंगे। साथ ही दक्षिण भारत को भी पार्टी नया संदेश देने की कोशिश करेगी। इस बैठक के माध्यम से भाजपा का इरादा है कि वह दक्षिण की जनता को बताये कि वह पार्टी उनके बारे में भी सोचती है।
भाजपा पहले से ही शुरू कर चुकी है तैयारी
तेलंगाना में केसीआर और ओवैसी को झटका देने के लिए बीजेपी पहले से ही तैयारी शुरू कर चुकी है। पार्टी ने तेलंगाना की सभी विधानसभा क्षेत्रों में अपने क्षत्रपों को पहले से ही तैनात कर रखा है। भाजपा के बड़े नेता सभी विधानसभा क्षेत्रों में 2 दिन रह चुके हैं। हर विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी ने 7 बड़ी बैठकें की हैं। 1 जुलाई को भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा रोड शो कर चुके हैं। 3 जुलाई को पीएम मोदी भी मेगा रैली करने वाले हैं।
तेलंगाना की सत्ता हथियाना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती
तेलंगाना की सत्ता हथियाने का भाजपा ने बड़ा प्लान तो बनाया है, लेकिन यह उसके लिए बहुत बड़ी चुनौती है। 2018 के विधानसभा चुनावों का ही आकलन करने से ही पता लग जायेगा कि यह उसके लिए कितनी बड़ी चुनौती है। 119 सीटों वाली तेलंगाना विधानसभा में की 88 सीटों पर कब्जा कर केसीआर की टीआरसी अपना दमखम 2018 में दिखा चुकी है। जहां तक भाजपा के प्रदर्शन का प्रश्न है तो भाजपा को 2018 में मात्र 1 सीट मिली थी जो कि 2014 के विधानसभा चुनाव की तुलना में 4 कम है। हालांकि दोनों विधानसभा चुनावों में भाजपा के वोट प्रतिशत में कमी नहीं आयी। दोनों चुनावों में भाजपा का वोट प्रतिशत 7.1 थी। बात करें टीआरएस के वोट शेयरिंग की तो टीआरएस की वोट शेयरिंग 2014 के 34.3 प्रतिशत वोट की तुलना में 2018 में 46.9 प्रतिशत तक पहुंच गया। 2018 में एआईएमआईएम की 7 सीटों के साथ कांग्रेस भी 19 सीटें झटक चुके हैं। इसी से अंदाजा लग गया होगा कि यह काम कितना कठिन है। लेकिन भाजपा के आत्मविश्वास को भी जेहन में रखना होगा। यह वही भाजपा है जिसको देश में कभी मात्र 2 सीटें आयी थीं और उसका मजाक बनाया गया था, यह वही भाजपा है जिसको इसी देश ने 333 सीटें देकर अपने सिर माथे पर बिठाया है। यह भारत है, यहां कुछ भी हो सकता है। जब इसी देश में 2 से 333 सीटें आ सकती हैं तो तेलंगाना में भी कुछ भी हो सकता है।
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