Bihars Christian Conversion: बिहार (Bihar) के दानापुर (Danapur) में ईसाई मिशनरियों (Christian missionries) के द्वारा लालच देकर बड़ी संख्या में हिंदू और इस्लाम धर्म के लोगों को ईसाई धर्म में धर्मांतरित कराने के लिए प्रेरित करने का प्रकरण सामने आया है। अब धर्म परिवर्तन कराने को लेकर राजधानी पटना में लोगों को ईसाई धर्म से जोड़ने के लिए गांव-गांव में चर्च भी बनने लगे हैं।
नौबतपुर के डिहरा गांव में बना चर्च
नौबातपुर के डिहरा गांव में एक बड़ा सा चर्च बना दिया गया है. यहां एक दो नहीं, बल्कि सैकड़ों लोग इस चर्च से जुड़ गए। ईसाई मिशनरी पर आरोप है कि लोगों को ईसाई बनाने के लिए कई तरह के लोभ दिए जा रहे हैं। धर्म परिवर्तन कर हिंदू से ईसाई धर्म अपनाने वाले बक्सर इलाके के फादर जयप्रकाश के मुताबिक जब ज्यादा लोग जुड़ गए तो 2015 में चर्च का निर्माण कराया गया और ईसा मसीह की प्रार्थना के लिए चर्च भी बना दिए गए है। यहां होने वाली प्रार्थना सभा को भी यही संबोधित करते हैं और लोगों के अंदर ईसा मसीह के प्रति विश्वास जगाते हैं और चर्च से जोड़ते हैं। इन पर आरोप है कि लोग लालच में आकर जुड़ते हैं और उन्हें यहां से उन्हें सहायता दी जाती है। कभी कंबल तो किसी के घर में चापाकाल तो किसी के घर में शौचालय दिए जाते हैं।
हिंदू- मुस्लिम और गरीब तबके के लोग हैं निशाने पर!
धर्मपरिवर्तन करनेवाले फादर जयप्रकाश मसीह के मुताबिक यहां सैकड़ों लोग चर्च से जुड़े हुए थे और जब मिशनरी के तरफ से सहायता देने का काम पिछले 2 वर्षों से बंद हुआ तो यहां अब कुछ ही लोग आते हैं, लेकिन जिनका विश्वास है, वह अब भी आते हैं। मिशनरी पर आरोप है कि इस चर्च से लोभ लालच देकर हिंदू- मुस्लिम और गरीब तबके के लोगों को जोड़ने का काम किया गया। हालांकि कुछ लोग कुछ दिन जुड़े रहने के बाद इस मिशनरी की मंशा समझ गए और इसे छोड़कर फिर अपने धर्म में वापस चले गए।
कंबल, चापाकल और शौचालय बनवा देते हैं प्रलोभन
कुछ लोगों ने बताया कि वह पहले इस चर्च से जुड़े हुए थे, लेकिन कुछ कुछ ऐसा हुआ कि वो लोग फिर से अपने पुराने धर्म में वापस आ गए। उनका कहना है कि मदद के रूप में उन्हें कंबल, चापाकल और शौचालय दिए जाते थे और चर्च से जोड़ने के लिए ईसाई धर्म से जोड़ने के लिए कई तरह के प्रलोभन दिए जाते थे जो लोग इस साजिश को समझ गए, वो चर्च जाना छोड़ दिए। उनका कहना है कि गांव के काफी लोग पहले चर्च जाते थे, अब कम जाते हैं।
मुस्लिम भी हैं निशाने पर
एक मुस्लिम महिला ने पूछने पर बताया कि उसे भी इससे जोड़ा गया था। उसका कहना है कि वह भी चर्च जाती थी और प्रार्थना सभा में शामिल होती थी, लेकिन उसके मुताबिक एक दिन उन्हें दलित लोगों के साथ उनके बर्तन में खाने को कहा गया तो उन्होंने मना कर दिया। इस पर चर्च के पादरी ने कहा कि जो लोग यहां भेदभाव रखते हैं, वो लोग यहां से जा सकते हैं, तो उसने निकलना ही अच्छा समझा और अपने धर्म में वापस आ गई ।
‘बच्चों की पढ़ाई मुफ्त’
मिशनरी से जोड़ने के लिए यहां शिक्षा दीक्षा का भी इंतजाम किया जाता था और कुछ लोगों को जोड़ने के लिए उनके बच्चों को पढ़ाई मुफ्त कर दी जाती थी। एक सदस्य ने पूछने पर बताया कि उनके भाई ईसाई धर्म और ईसा मसीह पर विश्वास करने लगे और इस धर्म से जुड़ गए और उनके बेटे को भी इस मिशनरी से जोड़ने के लिए नाम जुड़वा दिया, लेकिन जब केस करने की धमकी दी तब बच्चे का नाम वहां से काटकर हटाया गया। उसने आगे बताया कि लोभ लालच में गरीबों को फंसा कर धर्म का राह बदला जाता है।
ईसाई धर्म से जुड़ने के लिए चलाए जा रहे कई तरह के कार्यक्रम
लोगों का आरोप है कि पटना जिले के आस-पास के गांव में ईसाई धर्म से जुड़ने के लिए कई तरह के कार्यक्रम भी किए जा रहे हैं और प्रलोभन भी दिए जा रहे हैं, जो इस प्रलोभन में फंस गए उन्होंने धर्म परिवर्तन कर लिया। इस तरह के प्रलोभन को रोकने के लिए सरकार की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया है। जिससे यहां का सामाजिक ताना -बाना कमजोर होता जा रहा है।
ये भी पढ़ें : पशु तस्करों को नहीं है डर! नए-नए तरीके खोज पुलिस को भी दे रहे चकमा!