न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
सारण का जहरीली शराब कांड बिहार की नीतीश कुमार सरकार के गले की फांस बनता जा रहा है। भाजपा के लगातार हमले उसे और भी परेशान कर रहे हैं। भाजपा के हमलावर होने से नीतीश की जदयू पार्टी बैकफुट पर तो है ही, फिर भी दलीलें दे-देकर शराबबंदी और शराब से हुई मौतों पर मुआवजा नहीं देने को जायज बताने पर अड़ी हुई है। इसी बीच जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने एक रिपोर्ट जारी की है जिस पर भाजपा को एक बार फिर जदयू पर हमला बोलने का मौका मिल गया।
आंकड़े में गड़बड़ी कर गये ललन सिंह?
ललन सिंह ने 5 साल में शराब से होनेवाली मौतों को लेकर कुछ आंकड़े पेश किये हैं। जिसमें सिर्फ 23 लोगों की मौत होने का जिक्र है। इसी रिपोर्ट को आधार बनाकर राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने जदयू अध्यक्ष पर बड़ा हमला बोला है। सुशील मोदी ने ध्यान दिलाया कि रिपोर्ट में 2016 में शराब सेवन से सिर्फ 7 लोगों की मौत का जिक्र है, जबकि उसी साल शराब सेवन से एक शराब कांड में मरने वाले 19 लोगों के परिवार को 4-4 लाख का मुआवजा दिया जा चुका है।
गलत साबित हुई सरकार की रिपोर्ट!
दरअसल, ललन सिंह ने एनसीआरबी को भेजी गयी रिपोर्ट को आधार बना अपनी रिपोर्ट तैयार की थी। यह वही रिपोर्ट है जिसके बूते बिहार सरकार अपनी शराबबंदी नीति को सही ठहराकर अपनी पीठ ठोंक रही है। रिपोर्ट में 2016-2021 के बीच बिहार में शराब सेवन से सिर्फ 23 लोगों की मौत का जिक्र है। लेकिन रिपोर्ट तैयार करते समय ललम सिंह गोपालगंज के खजूरबन्नी गांव के शराबकांड को भूल गये। इस कांड से सरकार की रिपोर्ट खुद-ब-खुद गलत साबित हो जा रही है। क्योंकि इस कांड के लिए सरकार ने गांव के 19 परिवारों को 4-4 लाख रुपये मुआवजा दिया था। शराबबंदी के बाद पहली बार 15 अगस्त 2016 में गोपालगंज के खजूरबन्नी गांव में जहरीली शराब से 19 लोगों की मौत हुई थी।
बिहार में है शराब से मौत पर 4-4 लाख रुपये मुआवजे का प्रावधान
सीएम नीतीश कुमार यह कहकर कि ‘जो पीएगा, वह मरेगा’ सारण में शराब से हुई मौतों के लिए मुआवजा देने से इनकार कर रहे हैं। इस पर भी भाजपा नीतीश सरकार पर हमलावर है। भाजपा का कहना है कि बिहार सरकार के गजट में शराब पीने से मौत होने पर परिजनों को 4-4 लाख देने का प्रावधान है। खजूरबन्नी गांव की घटना के बाद सरकार ने 2 अक्टूबर 2016 को बिहार मद्ध निषेध और उत्पाद अधिनियम 2016 गजट प्रकाशित किया था। इस गजट में 4-4 लाख रुपये मुआवजे और शराब बेचने वालों की सम्पत्ति जब्त करने का प्रावधान है। हालांकि खजूरबन्नी कांड के बाद सरकार ने यह राशि शराब बेचने वाले की संपत्ति जब्त कर नहीं, बल्कि अपने खजाने से दी थी। मुआवजा देने के बाद सरकार ने शराब बेचने वाले के खिलाफ नीलामपत्र वाद दायर किया था।
यह भी पढ़ें: Jharkhand: गढ़वा में तेंदुए राज! 15 दिनों में तीन बच्चों को बनाया अपना शिकार