बिहार(Bihar Govt.) सरकार ने राज्य के किसानों की आमदनी बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने क्वालिटी सर्टिफिकेशन लैब को खोलने की स्वीकृति दी गयी है। इसके तहत दुकान-गोदाम के आवंटन में एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) को प्राथमिकता दी जाएगी। अब तक लैब टेस्टिंग का काम कोलकाता, लखनऊ आदि जगहों से कराया जा रहा है। इसमें बहुत समय, खर्च और श्रम लगता है। कृषि विभाग किसानों को नियोजित तरीके से बाजार देगा, जहां उन्हें अपने उत्पाद का सही दाम मिलेगा। ये बाजार/मंडियां दरभंगा, पूर्णिया से लेकर दिल्ली-मुंबई तक के हो सकते हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि कृषि निर्यात को तेजी से बढ़ावा दिया जाए, इससे किसानों की आमदनी बहुत बढ़ेगी। कृषि बाजार समिति की आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए और तेजी से काम हो।
कृषि विभाग ने एग्रीकल्चरल मार्केटिंग की आगे की योजनाएं बतायीं
कृषि विभाग के सचिव एन.सरवन कुमार ने बिहार एग्री एक्सपोर्ट पॉलिसी, बाजार समितियों के आधारभूत ढांचागत विकास, कृषि बाजार प्रांगण में परिसंपत्तियों के आवंटन के नियम, एग्री मार्केट इंफॉर्मेशन सिस्टम, ई-नैम का क्रियान्वयन, रुल्स फॉर कॉन्टैक्ट फॉर्मिंग, बिहार एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस वैल्यू एडिशन सिस्टम का सुदृढ़ीकरण तथा किसान उत्पादक संगठन को प्रोत्साहित करने के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि एग्रीकल्चरल मार्केटिंग इनिशिएटिव तथा भविष्य की योजनाओं से जुड़े ये सारे काम, किसानों के लाभ के लिए हैं। इससे उन्हें बड़ा फायदा होगा। यह सब कृषि क्षेत्र की तस्वीर बदलने में खासा सहायक होगा।
एग्रीकल्चर मार्केट को सुढृढ़ किया जाये
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में किसानों के हित में लगातार कार्य किए जा रहे हैं। सबकी सलाह से अब तक तीन कृषि रोडमैप बनाये इससे फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता, दोनों बढ़ी है। मखाना, चावल, गेहूं, मक्का आदि फसलों का उत्पादन काफी बढ़ा है। यहां के लोगों की आमदनी का बहुत बड़ा आधार कृषि है। हमारा लक्ष्य सिर्फ फसलों का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाना ही नहीं, बल्कि किसानों की आमदनी भी बढ़ाना है। कृषि निर्यात में वृद्धि होने से किसानों की आमदनी और बढ़ेगी। एग्रीकल्चर मार्केट को बेहतर ढंग से विकसित किया जाए।
किसानों को मिलेगीं उनके उपज का वाजिब रकम
क्वालिटी सर्टिफिकेशन के लैब को खोलने की स्वीकृति दी गयी है। दुकान-गोदाम के आवंटन में एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) को प्राथमिकता दी जाएगी ।अब तक लैब टेस्टिंग का काम कोलकाता, लखनऊ आदि जगहों से कराया जा रहा है। इसमें बहुत समय, खर्च और श्रम लगता है। कृषि विभाग किसानों को नियोजित तरीके से बाजार देगीं, जहां उन्हें अपने उत्पाद का सही दाम मिलेगा। ये बाजार/मंडियां दरभंगा, पूर्णिया से लेकर दिल्ली-मुंबई तक के हो सकते हैं।
मुख्यमंत्री का कहना था कि कृषि निर्यात को तेजी से बढ़ावा दिया जाए, इससे किसानों की आमदनी बहुत बढ़ेगी। कृषि बाजार समिति की आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए और तेजी से काम हो।
कृषि विभाग ने एग्रीकल्चरल मार्केटिंग की आगे की योजनाओं को बताया है।
कृषि विभाग के सचिव एन.सरवन कुमार ने बिहार एग्री एक्सपोर्ट पॉलिसी, बाजार समितियों के आधारभूत ढांचागत विकास, कृषि बाजार प्रांगण में परिसंपत्तियों के आवंटन के नियम, एग्री मार्केट इंफॉर्मेशन सिस्टम, ई-नैम का क्रियान्वयन, रुल्स फॉर कॉन्टैक्ट फॉर्मिंग, बिहार एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस वैल्यू एडिशन सिस्टम का सुदृढ़ीकरण तथा किसान उत्पादक संगठन को प्रोत्साहित करने के बारे में विस्तार से बताया।उन्होंने कहा कि एग्रीकल्चरल मार्केटिंग इनिशिएटिव तथा भविष्य की योजनाओं से जुड़े ये सारे काम, किसानों के लाभ के लिए हैं। इससे उन्हें बड़ा फायदा होगा। यह सब कृषि क्षेत्र की तस्वीर बदलने में खासा सहायक होगा।
एग्रीकल्चर मार्केट को सुढृढ़ किया जाये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में किसानों के हित में लगातार कार्य किए जा रहे हैं। सबकी सलाह से अब तक तीन कृषि रोडमैप बनाये इससे फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता, दोनों बढ़ी है। मखाना, चावल, गेहूं, मक्का आदि फसलों का उत्पादन काफी बढ़ा है। यहां के लोगों की आमदनी का बहुत बड़ा आधार कृषि है। हमारा लक्ष्य सिर्फ फसलों का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाना ही नहीं, बल्कि किसानों की आमदनी भी बढ़ाना है। कृषि निर्यात में वृद्धि होने से किसानों की आमदनी और बढ़ेगी। एग्रीकल्चर मार्केट को बेहतर ढंग से विकसित किया जाए।
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