Bihar Diwas 2025: बिहार, एक ऐसा राज्य जो सिर्फ अपने लिट्टी-चोखा के लिए नहीं, बल्कि अपनी अमूल्य धरोहर, कला, शिक्षा और परंपराओं के लिए भी जाना जाता है। 22 मार्च को बिहार दिवस मनाया जाता है, जो इस गौरवशाली भूमि की ऐतिहासिक यात्रा की याद दिलाता है। 1912 में इसी दिन बिहार को बंगाल से अलग कर एक स्वतंत्र राज्य घोषित किया गया था। इस राज्य ने नालंदा विश्वविद्यालय से लेकर छठ पूजा तक, मधुबनी चित्रकला से लेकर मखाने तक भारत की संस्कृति को समृद्ध किया है। यह दिन सिर्फ बिहारियों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का दिन है।
आइये जानें बिहार की उन धरोहरों को जो आज राज्य के पहचान की मिसाल बन गए हैं।
मधुबनी चित्रकला: एक परंपरा जो रामायण से चली आ रही है
माना जाता है कि मधुबनी या मिथिला चित्रकला की शुरुआत रामायण काल में राजा जनक द्वारा राम-सीता विवाह के अवसर पर की गई थी। यह कला प्राकृतिक रंगों से बनाई जाती थी, जिसमें बांस की लकड़ी, उंगलियों और माचिस की तीलियों का उपयोग किया जाता था। यह सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि नेपाल के कुछ हिस्सों में भी प्रचलित है। मधुबनी पेंटिंग में शादी-ब्याह, पौराणिक कथाएं, देवी-देवताओं की झलक और प्रकृति के सुंदर चित्र देखने को मिलते हैं। आज यह कला कपड़ों, कैनवास और वॉल पेंटिंग्स पर भी बनाई जाने लगी है और इसे पूरी दुनिया में सराहा जाता है।
नालंदा विश्वविद्यालय: दुनिया की पहली रेजिडेंशियल यूनिवर्सिटी
नालंदा विश्वविद्यालय सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए ज्ञान का सबसे बड़ा केंद्र रहा है। 5वीं शताब्दी में स्थापित यह विश्वविद्यालय न सिर्फ भारत बल्कि चीन, जापान, तिब्बत, श्रीलंका और मंगोलिया जैसे देशों के छात्रों के लिए ज्ञान का केंद्र था। यहां गणित, खगोलशास्त्र, आयुर्वेद, भारतीय दर्शन और बौद्ध धर्म की शिक्षा दी जाती थी। महान गणितज्ञ आर्यभट्ट, जिन्होंने शून्य (0) की खोज की, वे भी इसी विश्वविद्यालय से जुड़े थे।
लिट्टी-चोखा: सैनिकों का भोजन बना बिहार की पहचान
बिहार का सबसे प्रसिद्ध व्यंजन लिट्टी-चोखा सिर्फ स्वाद ही नहीं, बल्कि इसके ऐतिहासिक महत्व के कारण भी लोकप्रिय है। इसकी शुरुआत मगध साम्राज्य में हुई थी और यह सैनिकों का मुख्य भोजन था क्योंकि इसे बनाना और पैक करना आसान था। 1857 के विद्रोह में भी तात्या टोपे और रानी लक्ष्मीबाई के सैनिक इसे खाते थे। सत्तू से भरी यह लिट्टी और बैंगन-आलू के चोखे का मेल बिहार की अनोखी पाक कला का उदाहरण है।
मखाना: बिहार का सुपरफूड, जो पूरी दुनिया में मशहूर
भारत में जितना भी मखाना पैदा होता है, उसका 90% उत्पादन बिहार में होता है। यह एक सुपरफूड माना जाता है, जो प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। मखाने की खेती मुख्य रूप से मल्लाह समुदाय के लोग करते हैं और यह बिहार की प्रमुख आर्थिक फसल भी है। गर्मियों में यह शरीर को ठंडक देने के लिए जाना जाता है और इसे स्नैक्स के रूप में भी खाया जाता है।
छठ पूजा: सूर्य की उपासना का सबसे बड़ा पर्व
बिहार का सबसे बड़ा महापर्व छठ पूजा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रकृति और आस्था का संगम है। इसकी शुरुआत त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी द्वारा सूर्य देव की पूजा से मानी जाती है। यह पर्व विशेष रूप से सूर्य उपासना और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। छठ पूजा के दौरान महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और गंगा या किसी पवित्र नदी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
बिहार सिर्फ एक राज्य नहीं, बल्कि संस्कृति, कला, इतिहास और परंपरा की जीती-जागती मिसाल है। यह नालंदा की शिक्षा हो या मधुबनी की कला, छठ पूजा की भक्ति हो या लिट्टी-चोखा का स्वाद – बिहार हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ता आया है।