न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
वरिष्ठ पत्रकार डॉ वेदप्रताप वैदिक अब दुनिया में नहीं रहे। 78 वर्षीय वेदप्रताप आज नहाने के समय बाथरूम में गिर पड़े थे, उन्हें तत्काल नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। डॉ वेदप्रताप का जाना पत्रकारिता जगत की बहुत बड़ी क्षति है।
देश ही नहीं विदेशों में भी ख्यातिप्राप्त पत्रकार वेदप्रताप वैदिक राजनैतिक विश्लेषक, पटु वक्ता एवं हिन्दी प्रेमी हैं। हिन्दी को भारत ही नहीं, विश्व मंच पर स्थापित करने की दिशा में किये गये प्रयासों को हमेशा याद किया जायेगा। भाषा के सवाल पर स्वामी दयानन्द सरस्वती, महात्मा गांधी और डॉ. राममनोहर लोहिया की परम्परा को आगे बढ़ाने वालों में डॉ. वैदिक का नाम श्रद्धा से लिया जायेगा।
अद्वितीय व्यक्त्तिव के धनी डॉ वेदप्रताप वैदिक का जन्म 30 दिसंबर, 1944 को इंदौर में हुआ। मेधावी छात्र रहे वेदप्रताप वैदिक रूसी, फारसी, जर्मन और संस्कृत के अच्छे जानकार थे। उन्होंने अपनी पीएच.डी. के दौरान न्यूयार्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी, मास्को के ‘इंस्तीतूते नरोदोव आजी’, लंदन के ‘स्कूल ऑफ ओरिंयटल एंड एफ्रीकन स्टडीज़’ और अफगानिस्तान के काबुल विश्वविद्यालय में अध्ययन और शोध किया।
साठ वर्षों की पत्रकारिता का सफर खत्म!
वेद प्रताप वैदिक पिछले 60 वर्षों में लगातार पत्रकारिता कर रहे थे। अपने लम्बे पत्रकारिता जीवन में उन्होंने हजारों लेख लिखे। लगभग 10 वर्षों तक वह पीटीआई भाषा (हिन्दी समाचार समिति) के संस्थापक-संपादक और उसके पहले ‘नवभारत टाइम्स’ के संपादक (विचारक) रहे हैं। फिलहाल दिल्ली के राष्ट्रीय समाचार-पत्रों तथा देश और विदेश के लगभग 200 समाचार-पत्रों में भारतीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर उनके लेख प्रकाशित हो रहे थे।
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