Tokyo Olympic में भारतीय तलवारबाज भवानी देवी का सफर थम गया है। भारतीय ओलंपिक सफर में Bhavani devi वह नाम है जिसने ओलंपिक पहली बार पहली बार भारत का प्रतिनिधित्व किया है। Bhavani devi के तलवारबाज बनने की कहानी भी दिलचस्प है। शायद वह तलवारबाज नहीं बनतीं, लेकिन उन्हें तलवारबाज बनना पड़ा। स्कूल के दिनों में उन्होंने तलवारबाजी को चुना। उन्हें तलवारबाजी इसलिए चुननी पड़ी, क्योंकि स्कूल की स्पर्द्धाओं में और कोई खेल चुनने के लिए बचा नहीं था। पर भवानी देवी की जिद देखिये, उन्होंने न सिर्फ इस खेल को चुना, बल्कि उसे अपना करियर बनाया और परवान चढ़ाया।
करियर के प्रति यह उनकी जिद ही थी कि Tokyo Olympic में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली खिलाड़ी बन सकीं। वह ना सिर्फ Tokyo Olympic के लिए क्वालिफाई हुईं, बल्कि भारत के लिए पहला मैच जीता भी। अपना दूसरे मुकाबला दुनिया की नंबर 3 रैंकिंग की खिलाड़ी के हाथों हारने से पहले ट्यूनीशिया की बेन अजीजी नादिया को महज 6 मिनट के भीतर धूल चटा कर अपनी क्षमता का परिचय उन्होंने दे दिया।। भवानी देवी ने अजीजी को 15-3 से हराकर दूसरे राउंड में जगह बनाई थी। यहां भवानी देवी को फ्रांस की मैनन ब्रूनेट के हाथों 15-6 से हार का सामना करना पड़ा। बता दें, भवानी देवी इस मुकाबले में वर्ल्ड रैंकिंग 42 खिलाड़ी की हैसियत से उतरी थीं।

कौन हैं Bhavani Devi ?
भवानी देवी ने तलवारबाजी में भारत की तरफ से कई कीर्तिमान गढ़े हैं। वह दुनिया में 42वें नंबर की खिलाड़ी हैं। शुरुआत कॉमनवेल्थ खेलों में ब्रॉन्ज मेडल के साथ हुई। ये बात है 2009 की। फिर इंटरनैशनल ओपन, कैडेट एशियन चैम्पियनशिप, अंडर-23 एशियन चैम्पियनशिप समेत कई टूर्नमेंट्स में भवानी ने मेडल्स अपने नाम किए। वह अंडर-23 में एशियन जीतने वाली पहली भारतीय हैं।
राहुल द्रविड़ के फाउंडेशन ने किया सपोर्ट
भवानी देवी देश की उन चुनिंदा 15 एथलीट्स में से रही हैं जिन्हें पूर्व क्रिकेटर राहुल द्रविड़ के फाउंडेशन ने सपोर्ट किया। भवानी का जन्म तमिलनाडु के चेन्नै में हुआ था। 10 साल की उम्र में खेलों में दिलचस्पी हो गई। अगले साल फेंसिंग से सामना हुआ तो भवानी का मन लग गया।
ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई करने के बाद भवानी ने हंसते हुए कहा था, “जब मैंने खेलों में हिस्सा लेने के लिए दाखिला लिया, तो हम सभी को समूहों में विभाजित किया गया और पांच अलग-अलग खेलों में से एक को चुनने का विकल्प दिया गया। जब तक मेरी बारी आई, तब तक केवल तलवारबाजी में ही स्लॉट बचा था।” उन्होंने स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) के सेंटर में शुरुआती ट्रेनिंग ली। ओलिंपिक के लिए भवानी ने इटली में खास तैयारी की।
इसे भी पढ़ें : Kargil Vijay Diwas: 18000 फीट की ऊंचाई पर Indian Army के अदम्य साहस की कहानी