झारखंड खनिजों की ही खान नहीं, बल्कि यह वन प्रदेश औषधीय वनस्पतियों की भी खान है। झारखंड की आदिवासी परम्परा ऐसे-ऐसे गुणों को अपने अन्दर समेटे हुए है, जो आधुनिक चिकित्सा पद्धति को भी चुनौती दे सकते हैं। आज हम बात कर रहे हैं, झारखंड में पायी जाने वाली ऐसी जड़ी-बूटी कि जिसके बारे में आपने शायद ही सुना होगा, लेकिन इसमें गजब का चमत्कारिक गुण है।
झारखंड के जंगलों में बेलवा नाम का पौधा पाया जाता है। यहां के आदिवासी सदियों से इस वनस्पति का इस्तेमाल न सिर्फ कर रहे हैं, बल्कि इसके गुणों का लाभ भी ले रहे हैं। वैसे तो इसके इस्तेमाल करने की परम्परा बच्चों के जन्म से भी जुड़ी हुई है। आदिवासी इस वनस्पति की पत्तियों को छठी के दिन बच्चों के शरीर में रगड़ देते हैं. उनका मानना है कि इससे चर्म रोग नहीं होता है।
आदिवासियों के इस ज्ञान का बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कृषि एक्सपर्ट प्रशांत भी तस्दीक करते हैं। उनका कहना है कि यह काफी खास पौधा है। इसका नाम बेलवा है। इसके गुणों के बारे में कुछ महीने पहले तक हमें भी नहीं पता था। अभी हम इस पर शोध कर रहे हैं। मगर शुरुआती शोध में ही पता चल चुका है कि बेलवा पौधे में एंटीबैक्टीरियल गुण काफी अधिक मात्रा में हैं। इस पौधे में एंटी फंगल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी मौजूद है।
अब आप क्या कहेंगे! झारखंड के आदिवासियों को जिस वनस्पति के गुण का पता सदियों पहले चल चुका था, उससे आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी अछूता था। प्रशांत बताते हैं कि इस पौधे के इसी गुण के कारण आदिवासी इसे अपने पूरे शरीर में लगा लेते हैं तो शरीर में जो दाद, खुजली जैसे रोग आसानी से ठीक हो जाते हैं। चेहरे पर अगर पिंपल्स है, या फिर हाइपर पिगमेंटेशन जैसी चीज भी ठीक होती है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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