Babiya Crocodile died: मगरमच्छ (Crocodile) स्वभाव से ही मांसाहारी होते हैं। स्वभाव के विपरीत किसी मगरमच्छ की शाकाहारी होने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पर आप यकीन करें या न करें, यह सच है कि केरल के एक मंदिर में बाबिया नाम का शाकाहारी मगरमच्छ (vegetarian crocodile babiya) रहता था, जिसकी सोमवार को मौत हो गई. यह कोच्चि जिले के अनंतपुरा लेक टेंपल की झील में रहता था। मगरमच्छ बाबिया कासरगोड के श्री आनंदपद्मनाभ स्वामी मंदिर की रखवाली भी करता था. मंदिर के लोग बताते हैं कि बाबिया यहां 60 वर्षों से अधिक समय से रह रहा था । उसका निवास झील और पास ही बनी गुफाएं थीं।मंदिर के पुजारियों के अनुसार, ‘मगरमच्छ बाबिया अपना अधिकांश समय गुफा के अंदर बिताता था और दोपहर में बाहर निकलता था.

लोग भगवान का दूत कहते थे
बताया जाता है कि दिन में दो बार उसे मंदिर का प्रसाद खाने के लिए दिया जाता था. वह चावल और गुड़ से बना दलिया ही खाता था. मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए आने वाले भक्त भी उसे प्रसाद खिलाते थे. लोग इसे भगवान का दूत कहते थे. बबिया जिस झील में रहता था, उसमें मछलियां भी हैं, लेकिन वह कभी भी मछलियों को नहीं खाता था. यहां तक कि झील में नहाने के दौरान भक्तों को भी किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाता था. यह दुनिया में अपनी तरह का इकलौता मगरमच्छ था.

देर रात पाया गया मृत
मंदिर के अधिकारियों के मुताबिक, बबिया मगरमच्छ शनिवार से ही लापता था और रविवार रात करीब 11:30 बजे बबिया का शव झील पर तैरता हुआ मिला। इसकी सूचना पुलिस और पशुपालन विभाग को दे दी गई है। मगरमच्छ के अंतिम दर्शन के लिए सोमवार को राजनेताओं सहित सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ गई। बबिया के शव को झील से निकाल कर सार्वजनिक श्रंद्धाजलि के लिए रखा गया है।

नेताओं ने दी श्रंद्धाजलि
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने बबिया मगरमच्छ को श्रंद्धाजलि दी और कहा कि उम्मीद हैं कि 70 से अधिक वर्षों से मंदिर का रखवाला करने वाला बबिया मगरमच्छ को मोक्ष प्राप्त हुआ हो। दिवंगत मगरमच्छ चावल और गुड़ का प्रसाद खाकर मंदिर की झील में 70 वर्षों से अधिक समय तक रहा और मंदिर की रक्षा की। वह सद्गति प्राप्त करे, ओम शांति !
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