न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
पांच राज्यों के चुनाव का नतीजा कल आने वाला है, लेकिन एग्जिट पोल के बाद से ही कुछ पार्टियों और उनके नेताओं का रंग अभी से उड़ा हुआ है। उत्तर प्रदेश में सपा तो पंजाब में कांग्रेस मान चुकी हैं कि उनका पत्ता साफ है। उत्तराखंड और मणिपुर को लेकर भाजपा भले थोड़ी आश्वस्त दिख रही है, लेकिन गोवा के कारण बेचैनी तो उसमें भी है। हालांकि गोवा में कांग्रेस भी बेचैन है। कांग्रेस तो इतनी डरी हुई है कि उसने अपने प्रत्याशियों को अंडरग्राउंड कर दिया है। कांग्रेस ने अपने सभी 37 प्रत्याशियों को किसी होटल में बंद कर रखा है ताकि कोई खरीद-फरोख्त न कर सके। इन सभी विधायकों की मॉनिटरिंग पूर्व वित्तमंत्री पी चिदम्बरम कर रहे हैं। हालांकि कांग्रेस इस आशंका से पहले से ही ग्रसित है। उसने तो इस दिशा में पहले से ही रणनीति बनानी शुरू कर दी थी। 5 फरवरी को कांग्रेस नेता राहुल गांधी गोवा के अपने प्रत्याशियों से मिले थे और उन्हें कुछ हिदायतें दी थीं। कांग्रेस इससे पहले भी इस तरह के सुरक्षात्मक उपाय करती रही है। महाराष्ट्र के चुनाव के बाद भी कांग्रेस ने ऐसा ही किया था। हालांकि उसका नतीजा भी सकारात्मक रहा था तभी आज वह महाराष्ट्र में सरकार में है।
कांग्रेस का रंग पंजाब में पूरी तरह उड़ा हुआ है। एग्जिट पोल के बाद कांग्रेस ने मान लिया है कि सत्ता उसके हाथ से जा चुकी है। एग्जिट पोल में आम आदमी पार्टी वहां नयी सरकार बनाने जा रही है। अगर ऐसा होता है तो पंजाब में कांग्रेस ने खुद ही अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारी है। नवजोत सिंह सिद्धू के अहंकार के आगे घुटने टेककर कैप्टन अमरिंदर सिंह को बाहर का रास्ता दिखाना तो सबसे बड़ा कारण है ही। इसके बाद भी कांग्रेस ने गलतियां की हैं। कैप्टन को बाहर करने के बाद भी कांग्रेस ने नवजोत सिंह सिद्धू को अनावश्यक तरजीह दी। पंजाब के लिए चुनावी रणनीति बनाते समय दलित वोटों की लालच में एक कमजोर व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाना भी कांग्रेस की बड़ी गलती है। अगर दलित वोट ही सबकुछ है तब तो यहां पर बसपा का शासन होना चाहिए। पंजाब के राजनीतिक हालात के अनुसार कांग्रेस रणनीति बनाने में असफल रही।
एग्जिट पोल उत्तर प्रदेश में भाजपा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सुकून दे रहा है, लेकिन कांग्रेस यहां तो पहले से ही हथियार डाले बैठी है। यह तो एग्जिट पोल से पहले से ही स्पष्ट था कि यूपी में कांग्रेस का कुछ नहीं होने वाला है, कांग्रेस की गढ़ रही सीटें भी कांग्रेस का साथ नहीं दे रही हैं। लेकिन भाई-बहन की ‘दिग्गज’ जोड़ी खुद को व्यर्थ की तरजीह देकर पार्टी का कबाड़ा किये हुए हैं। सच पूछा जाये तो कांग्रेस जनमानस को समझने में लगातार गलतियां कर रही है।
उत्तर प्रदेश में सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपनी बढ़ रही सीटों से भी संतुष्ट नहीं हैं। वह मान ही नहीं पा रहे हैं कि वह सत्ता में उनकी वापसी नहीं हो रही है। इसलिए एक शिगूफा लेकर आये हैं- ईवीएम का। मतदान समाप्त होने के बाद सपा दूरबीन लगाकर स्ट्रांग रूप की निगरानी कर रही है, चुनाव आयोग से शिकायत कर रही है, उसे डर है कि ईवीएम से छोड़छाड़ की जा रही है। हद तो तब हो गयी जब उसने ईवीएम लदे ट्रक को कहीं और ले जाने की बात तक कह डाली। खैर, यह कोई नयी बात नहीं है, ईवीएम पर उंगलियां हर इलेक्शन में उठती हैं। अपनी हार का बचाव करने के लिए कोई बहाना तो चाहिए ही। लेकिन यह बहाना उस समय कोई नहीं करता जब वे जीत जाते हैं।
कुल मिलाकर, ज्यादातर मीडिया संगठनों के एग्जिट पोल में उत्तर प्रदेश, मणिपुर और उत्तराखंड में भाजपा को बहुमत मिलने उम्मीद जताई है, जबकि गोवा में कांटे का मुकाबला है। पंजाब में आम आदमी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलना बताया गया हैं। यहां कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो सकती है। कुल मिलाकर एग्जिट पोल के नतीजों पर विश्वास किया जाये तो सिर्फ पंजाब में ही कांग्रेस बेदखल हो रही है।
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