हमारी धरती भी ब्रह्मांड के दूसरे ग्रहों की तरह ही है, जिसे अंतरिक्ष में भटकती विशालकाय चट्टानों से खतरा बना रहता है। छोटी-छोटी उल्काएं तो अक्सर गिरती रहती है, लेकिन विशालकाय पिंड भी कभी पृथ्वी से टकरा सकते हैं। करोड़ों वर्ष पहले ऐसे ही पिंडों के धरती से टकराने के कारण उत्पन्न हुई ऊर्जा से विशालकाय जीवों डायनोसार का विनाश हो गया था। धरती के अलावा सौरमंडल के भी दूसरे ग्रहों पर ऐसे ही पिंडों की बरसात होती रहती है। 17 जुलाई 1994 को बृहस्पति ग्रह से लेवी शू मेकर नामक पिंडा टकराया था जिससे लाखों परमाणु बमों जैसी ऊर्जा उत्पन्न हुई थी। इसलिए सम्भव है, आज नहीं तो कल हमारी धरती भी ऐसे ही किसी पिंड की जद में आ जाये और यहां के समस्त जीव-जगत का विनाश कर दे।
अंतरिक्ष विज्ञानी समय-समय पर अंतरिक्ष में विचरण करने वाले पिंडों के धरती से टकराने की भविष्यवाणी करते रहते हैं। भारत की स्पेस एजेंसी इसरो ने भी ऐसी ही भविष्यवाणी की है। इसरो ने चेतावनी जारी की है कि धरती के ऊपर एक बड़े एस्टेरॉयड की टक्कर का खतरा मंडरा रहा है। इसरो चीफ डॉ. एस. सोमनाथ ने भी इस एस्टेरॉयड को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कैसी जतायी है चिंता?
डॉ. सोमनाथ ने एक इंटरव्यू में एक बड़े एस्टेरॉयड के धरती से टकराने की चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि अगर यह धरती से टकराता है तो यहां से इनसानियत ही खत्म हो जाएगी। इसरो इस समय लगातार इस एस्टेरॉयड पर नजर रख रहा है। इस खतरनाक एस्टेरॉयड का नाम है एपोफिस (Apophis) बताया गया है।
एपोफिस तीन फुटबॉल स्टेडियम या आईएनएस विक्रमादित्य या मोटेरा वाले दुनिया के सबसे नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम के बराबर है। वैज्ञानिकों ने इसे 2004 में की खोज लिया था।
वैज्ञानिकों के अनुसार, धरती से इसकी टक्कर साल 2068 में हो सकती है। लेकिन उससे पहले यह दो बार धरती के पास से निकलेगा। एक तो अभी से पांच साल बाद 13 अप्रैल 2029 में। तब यह धरती से मात्र 32 हजार किलोमीटर दूर से निकलेगा। इससे ज्यादा दूर तो भारत के जियोस्टेशनरी सैटेलाइट तैनात हैं। दूसरी बार 2036 में यह धरती के पास से गुजरेगा।
इसरो का अंदाजा है कि 300 मीटर बड़ा एस्टेरॉयड अगर धरती से टकराता है तो वह पूरे एशिया को खत्म कर सकता है. एस्टेरॉयड की टक्कर वाली जगह से चारों तरफ करीब 20 किलोमीटर के दायरे में सामूहिक संहार हो जाएगा. यानी किसी भी तरह के जीव-जंतुओं की कोई आबादी नहीं बचेगी. सब कुछ खत्म हो जाएगा.
दो बार धरती के पास से गुजरने के बाद तीसरी बार इसका धरती के निकट आने खतरनाक हो सकता है। इसरो, नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी समेत दुनियाभर के वैज्ञानिक एस्टेरॉयड एपोफिस के रास्ते, गति और इससे होने वाले नुकसान का आकलन कर रहे हैं। फिलहाल वैज्ञानिक यही कह रहे हैं कि इसकी सही जानकारी 2029 के फ्लाइबाय के बाद होगी। क्योंकि तब ज्यादा बेहतर गणना हो सकेगी, क्योंकि तब वह धरती से मात्र 32 हजार किलोमीटर की दूरी से निकलेगा।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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