अडाणी, सोरोस, आम्बेडकर पर राजनीति के अलावा माननीयों ने किया क्या?
हाल में दो राज्यों महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनावों के बाद शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र से देश की जनता को बड़ी उम्मीदें थी, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात निकला। 4 सप्ताह का संसद का शीतकालीन सत्र बीत गया। शुक्रवार को संसद का सत्र समाप्त हो जाएगा। मगर यह सत्र सवाल छोड़ गया कि इससे किसे क्या मिला? राजनीति चमकाने के प्रयासों के अलावा क्या इस सत्र में किसी को कुछ हासिल हुआ?
मौसम भले शीतकालीन है, लेकिन ‘अडाणी, अम्बानी, सोरोन, आम्बेडकर’ करते-करते पक्ष-विपक्ष ने सदन को पूरी तरह से गर्म रखा। राजनेताओं की राजनीति कितनी चमकी, इसके लिए अभी लम्बा इन्तजार करना होगा, लेकिन जनता को क्या मिला और जनता के ये राजनीतिक दल उन्हें क्या दे पाये, इसका जवाब तो इनके पास भी नहीं होगा।
आखिरी तीन दिन भीमराव आम्बेडकर के अपमान मुद्दे पर चलता रहा हंगामा
चार सप्ताह चला संसद सत्र पहले ही दिन से अडाणी और सोरोस की चपेट में रहा। संसद सत्र के आखिरी दिन ‘भीमराव आम्बेडकर’ पर राजनीति करने में बीत गया। आज का दिन भी इसी की भेंट चढ़ेगा, इसमें कोई दो राय नहीं है। राज्यसभा में अमित शाह की डॉ आम्बेडकर पर कथित आपत्तिजनक टिपप्णी के खिलाफ विपक्ष के सांसद संसद परिसर तीन दिनों से प्रदर्शन चल रहा है। कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दल भाजपा पर संविधान निर्माता बाबासाहेब के अपमान का लगातार आरोप लगा रहे हैं वही भाजपा कांग्रेस पर हमेशा आम्बेडकर का अपमान करने का आरोप लगाते हुए घेरा है। गुरुवार को तो हद हो गयी जब विपक्षी सांसद संसद में प्रवेश करने लगे तो भाजपा सांसदों के साथ उनकी धक्का-मुक्की हो गयी। इसमें भाजपा सांसद प्रताप षाडंगी और मुकेश राजपूत घायल हो गये और उनके सिर पर चोट आई। उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बात मामला इतना बढ़ गया कि दोनों ओर से एक दूसरे पर हमला करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर तक कर दी गयी है। भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर और बांसुरी स्वराज ने राहुल के खिलाफ हत्या की कोशिश, धमकाने, धक्का देने के आरोप समेत BNS की 7 धाराओं में पुलिस को शिकायत दी थी। हालांकि, पुलिस ने धारा- 109 (हत्या की कोशिश) हटाकर सिर्फ 6 धाराओं में FIR में दर्ज की है। इन धाराओं में चोट पहुंचाने के इरादे से काम करना, धक्का देना-डराना धमकाना शामिल है। वहीं कांग्रेस ने भी भाजपा पर पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर हमला करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर की है।
भाजपा ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर दोनों सांसदों को धक्का देने का आरोप लगाया है और उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। वहीं कांग्रेस ने भी भाजपा सांसदों पर नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को धक्का देने का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दी है। उनका दावा है कि खड़गे को भी चोट लगी है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी कहा कि मेरे और प्रियंका के साथ धक्का-मुक्की की गई। खड़गे ने कहा- धक्का लगने से उनके घुटने में चोट आ गयी है।
माननीयों से जनता के लिए क्या किया?
बता दें जब संसद का यह सत्र शुरू होने वाला था तब केन्द्र सरकार सदन में 16 बिल लाने वाली थी। जिनमें वक्फ संशोधन विधेयक और वन नेशन वन इलेक्शन बिल भी शामिल थे। बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, रेलवे अधिनियम संशोधन विधेयक लोकसभा में लाये जाने थे, वहीं राज्यसभा में विमान के डिजाइन, निर्माण, रखरखाव, कब्ज़ा, इस्तेमाल, संचालन, बिक्री, निर्यात और आयात के विनियमन और नियंत्रण प्रदान करने वाला भारतीय वायुयान विधायक, 2024 विधेयक लाया जाना था। इनमें से कुछ विधेयक पास भी हुए। लेकिन हो सकता है इन विधेयकों से जनता को कुछ खास फायदा ना हो। क्यों कि जनता प्रत्यक्ष फायदा सोच कर चलती है। ऐसा न तो कुछ दिखा, अगर दिखा भी तो संसद के ‘हो-हंगामे’ में पता ही नहीं चला। केन्द्र सरकार के दो महत्वाकांक्षी विधेयक सदन पटल पर पेश भी किये गये, लेकिन विपक्ष की सहमति के बिना उनका पारित हो पाना सम्भव ही नहीं है। । जिनमें वक्फ संशोधन विधेयक और वन नेशन वन इलेक्शन बिल फिलहाल संसदीय संयुक्त कमेटी (JPC) को सुपुर्द कर दिया गया है।
ये तो हुई संसद के इस सत्र की बात। अब एक महीने के बाद संसद का बजट सत्र शुरू होना है। देखना यह कि यह बजट सत्र जनता को कुछ देता है, बरसों से जनता को मिल रहे कोरे आश्वासन ही उसे मिलेंगे। यानी एक सत्र और बीत जायेगा और जनता सिर्फ उम्मीदें लिए इन माननीयों को ताकती रह जायेगी।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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