गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की हत्याकांड में उम्र कैद की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन (Anand Mohan Singh) की रिहाई का रास्ता साफ़ होता दिख रहा है। अब ऐसी संभावना जताई जा रही है कि 26 जनवरी को वह जेल से बाहर आ सकते हैं। दरअसल 3 जनवरी को राज्य सरकार के मंत्रिमंडल में 26 जनवरी को व्यवहार कुशल कैदियों की रिहाई का फैसला लिया गया है। राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि इसमें आनंद मोहन (Anand Mohan Singh) का भी नाम है।
क्या है नियम
बिहार सरकार जेल में रहने के दौरान बेहतर आचरण वाले आजीवन कारावास की सजा काट रहे बंदियों को सजा के 14 साल पूरा कर लेने पर छह साल के परिहार (Remmission) का लाभ जोड़ते हुए उसे 20 साल की सजा पूरी कर लेना मानती है और उन्हें जांच प्रक्रिया का पालन करते हुए समय-समय पर मुक्त करती रही है। इसके लिए बेहतर आचरण वाले बंदियों की निगरानी कराने के बाद सूबे की जेलों के अधीक्षक, प्रोवेशन पदाधिकारी, एसपी, गृह क्षेत्र के थानाध्यक्ष की रिपोर्ट जेल आइजी को भेजी जाती है। जिसे राज्य दंडादेश परिहार परिषद की बैठक में रखा जाता है।
कैबिनेट की बैठक में मुहर
3 जनवरी को हुए कैबिनेट की बैठक में परिहार पर मुहर लगा दी गई है। अब यह सम्भावना जताई जा रही है कि इस परिहार में आनंद मोहन का भी नाम हो सकता है। जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार आनंद मोहन की रिहाई के लिए पूरी तैयारी कर चुकी है।
क्या है परिहार
परिहार (Remission)का अर्थ है-दंड को कम करना। मसलन एक वर्ष से छह मास का दंड करना। दंड को कम करने के प्रावधान को परिहार कहा जाता है।
पिछले साल ही उम्र कैद की सजा समाप्त हो गई थी
गोपालगंज के पूर्व डीएम जी. कृष्णैया की हत्या में लोअर कोर्ट ने आनंद मोहन को फांसी की सजा सुनाई थी। लोअर कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट ने उम्र कैद में बदल दिया था।पिछले साल के 17 मई को आनंद मोहन की उम्र कैद की सजा समाप्त हो गई थी। लेकिन, बिहार सरकार ने उन्हें रिहा नहीं किया था और परिहार से इनकार कर दिया था।
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