आस्था क्या होती है, यह सीखना है तो धनबाद की 85 वर्ष की तारामती से सीखनी चाहिए। झारखंड के धनबाद की तारामती इस समय प्रयागराज के महाकुंभ में पहुंची हुई है। वह घर में सिर्फ अपनी पोती को बताकर कुम्भ में स्थान करने पहुंच गयीं। उनका कहना है कि वह पूरे एक महीने कुम्भ में रहेंगी। आपको जानकर हैरत होगा कि एक पैरों से लाचार होने के बाद भी वह कुंभ में लगातार स्थान करने पहुंच जाती है। वह चारों कुंभ धामों हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन कुंभों में जा चुकी हैं और कुंभ के स्नान का पुण्य लाभ प्राप्त कर चुकी है। उन्होंने जो हैरत वाली बात बतायी वह यह कि वह 5 वर्ष की उम्र से लगातार कुंभ में स्नान करने आ रही हैं। उन्होंने पहला कुंभ स्नान 1945 में किया था। तारामती बताती हैं कि 1945 के कुंभ में जबरदस्त भगदड़ मची थी। तब उनके पिता ने गोद में छिपाकर उन्हें बचाया था। धन्य है तारामती की आस्था।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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