हार पर सहयोगियों ने कांग्रेस का किया ‘छीछालेदर’ और कांग्रेस कह रही ‘हार नहीं मानूंगा, रार ठानूंगा’

जम्मू-कश्मीर में अपनी सहयोगी नेशनल कॉन्फ्रेंस के सहारे जीतने के बाद भी अकेले के दम पर हरियाणा चुनाव लड़कर कांग्रेस हार चुकी है। इस हार के बाद कांग्रेस ने ‘रार’ ठान लिया है कि वह हार नहीं मानेगी। क्योंकि उसे लगता है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव की मतगणना में धांधली हुई है। इसका इजहार कांग्रेस के नेता बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके और सोशल मीडिया पर पोस्ट करके कर चुके हैं। मगर दूसरी ओर इंडी गठबंधन के उसके सहयोगियों को कांग्रेस को घेरने का अच्छा मौका मिल गया है। इसके सहयोगी उसके अकेले लड़ने को लेकर न सिर्फ बयानबाजी कर रहे हैं, बल्कि आईना भी दिखा रहे हैं।

कांग्रेस ने हार मानने से किया इनकार

खैर, पहले यह समझ लें कि आखिर कांग्रेस की निर्वाचन आयोग से क्या शिकायत है। पहले तो कांग्रेस ने अपनी हार स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा का कहना कि ईवीएम में गड़बड़ी हुई है। जिन मशीनों में बैट्री 99% थी, उसमें हमारी हार हुई और जहां मशीन की बैट्री का स्तर 70 प्रतिशत था। वहां हमारी जीत हुई। यहां पवन खेड़ा के कहने का मतलब है कि जिन ईवीएम में बैट्री का स्तर 99 प्रतिशत था, उन मशीनों से छेड़छाड़ हुई है तभी उनकी बैट्री ज्यादा चार्ज शो कर रही है। और जिन मशीनों की बैट्री का स्तर लो था, वे मशीनें सही थीं, इसलिए उन मशीनों वाले रिजल्ट में कांग्रेस की जीत हुई है।

वहीं, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने का कहना है कि 3-4 जिलों से शिकायतें मिली और उन जिलों में नतीजे आश्चर्यजनक रहे। इसलिए हम हम हार स्वीकार नहीं कर सकते। यह तंत्र की जीत है और लोकतंत्र की हार। जयराम रमेश के अनुसार, कई सीटें ऐसी हैं, जहां हम हार नहीं सकते, लेकिन हम वहां हारे हैं। इसलिए ये नतीजे हमारी भावनाओं के खिलाफ हैं।

सहयोगी दल कांग्रेस को दिखाने लगे हैं आईना

इंडी गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस की हरियाणा में हार पर उसकी खूब खबर ली है। आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि हमने कांग्रेस से बार-बार कहा कि गठबंधन कर लो। लेकिन कांग्रेस ने हमारी एक नहीं सुनी। अगर दोनों पार्टियां एक साथ मिलकर लड़तीं तो कांग्रेस की यह नौबत नहीं होती। बता दें कि कांग्रेस को हरियाणा में 39.09% वोट मिले थे। जबकि एक भी सीट नहीं जीतने वाली पार्टी आप 1.79% वोट लेने में सफल रही थी। दोनों पार्टियों के वोट मिला दिये जायें तो यह करीब 41 प्रतिशत के आसपास होता। जिससे कांग्रेस की कुछ सीटें बढ़ भी सकती थीं। हालांकि यहां यह भी ध्यान देना होगा कि हरियाणा चुनाव में भाजपा और जेजेपी 2019 में साथ लड़े थे। मगर दोनों इस बार अलग-अलग लड़े थे। अगर जेजेपी साथ लड़ती तो भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ सकता था। खैर, यह अलग विषय है।

अब बात करते हैं महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना (उद्धव) पार्टी की। हरियाणा में कांग्रेस की हार का पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ ने पूरा छीछालेदर कर दिया है। ‘सामना’ ने लिखा कि जीत को हार में कैसे बदला जाता है, यह कोई कांग्रेस से सीखे। हरियाणा चुनाव कांग्रेस जीतते-जीतते हार गयी। ‘सामना’ ने मध्यप्रदेश, हरियाणा और राजस्थान का भी उदाहरण दिया कि कांग्रेस ने वहां की सीटें किस प्रकार गंवा दीं और अब हरियाणा भी उसके हाथ नहीं आया।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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