स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने शिक्षकों के लिए एक नया हाइब्रिड प्रशिक्षण मॉडल तैयार किया है। झारखंड के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए नया निर्देश जारी किया गया है। सभी श्रेणी के शिक्षकों के न्यूनतम 50 घंटे का प्रशिक्षण लेना अनिवार्य किया गया है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य झारखंड के शिक्षकों की शिक्षा देने की गुणवत्ता को तो बढ़ाना है ही, साथ ही राज्य के छात्रों का शैक्षणिक स्तर बेहतर बनाना भी इसका उद्देश्य है। शिक्षकों को यह प्रशिक्षण में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यम शामिल दिये जायेंगे। इसके लिए शिक्षकों को निकटतम जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में जाकर पांच-छह घंटे का प्रशिक्षण भी लेना होगा। यह निर्देश मुख्य सचिव अलका तिवारी ने जारी किया है।
राज्य के शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह ने शुक्रवार को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (जेसीईआरटी), रातू में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र में इस पहल की जानकारी दी। यह सेमिनार “विद्यालय नेतृत्व: विविध भूमिकाएं एवं जिम्मेदारियां” विषय पर केंद्रित था। उन्होंने कहा कि सभी शिक्षकों के लिए यह प्रशिक्षण शीघ्र ही अनिवार्य किया जाएगा।
शिक्षा सचिव ने बताया कि अब तक शिक्षकों को उनकी वास्तविक आवश्यकताओं के अनुसार प्रशिक्षण देने का पर्याप्त प्रयास नहीं हुआ है। इस नए मॉड्यूल के तहत 50 घंटे के अनिवार्य प्रशिक्षण के बाद शिक्षकों का मूल्यांकन किया जाएगा, जिससे यह पता लगाया जा सके कि उन्हें आगे किस प्रकार की ट्रेनिंग की आवश्यकता है। यह पहल न केवल शिक्षकों की क्षमता को बढ़ाएगी, बल्कि उनकी शिक्षण पद्धति को और प्रभावी बनाने में मददगार साबित होगी।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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