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Age of Contesting Assembly Elections: क्या घटेगी विधानसभा चुनाव लड़ने की उम्र? युवाओं को मिलेंगे लोकतंत्र में शामिल होने के समान अवसर

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Age of Contesting Assembly Elections: एक संसदीय समिति ने शुक्रवार को लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु सात साल कम करने की वकालत करते हुए कहा कि इससे युवाओं को लोकतंत्र में शामिल होने के समान अवसर मिलेंगे। लोकसभा या विधानसभा चुनावों के लिए इसने विशेष रूप से चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु को वर्तमान 25 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष करने की सिफारिश की।

भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता में राज्यसभा में कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति ने चुनाव प्रक्रिया के पहलुओं और उनके सुधार पर अपनी रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट में कहा गया है कि मिति ने पाया है कि चुनाव में उम्मीदवारी के लिए ज़रूरी उम्र कम करने से लोकतंत्र में युवाओं को शामिल होने के समान अवसर मिल सकेंगे. इस नजरिये के पीछे युवाओं में बढ़ती राजनीतिक चेतना, और युवा प्रतिनिधित्व के लाभ, वैश्विक स्तर पर चल रहे चलन जैसे व्यापक बातों को आधार बनाया गया है.

मौजूदा कानूनी ढांचे के मुताबिक, लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए व्यक्ति की उम्र कम से कम 25 साल होनी चाहिए। राज्यसभा और राज्य विधान परिषद का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु 30 वर्ष है। वर्तमान में, जिस उम्र में कोई व्यक्ति मतदाता के रूप में पंजीकरण करा सकता है वह 18 वर्ष है।

“कनाडा, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया जैसे विभिन्न देशों की प्रथाओं की जांच करने के बाद, समिति का मानना ​​है कि राष्ट्रीय चुनावों में उम्मीदवारी के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। इन देशों के उदाहरण दर्शाते हैं कि युवा व्यक्ति विश्वसनीय और जिम्मेदार हो सकते हैं राजनीतिक प्रतिभागियों, “कानून और कार्मिक पर संसदीय स्थायी समिति ने कहा।

समिति ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च के अनुसार, 2019 में 47% सांसद 55 वर्ष से अधिक आयु के थे. जबकि भारत की औसत आयु 27.9 वर्ष थी. हालांकि, चुनाव आयोग न्यूनतम आयु में बदलाव की जरूरत से सहमत नहीं थी. समिति को अपने इनपुट में, पोल पैनल ने कहा कि उसने इस मुद्दे पर विचार किया है और 18 साल के बच्चों से ‘इन जिम्मेदारियों के लिए जरूरी अनुभव और परिपक्वता रखने’ की उम्मीद करना अवास्तविक पाया है. वहीं समिति का कहना है कि सर्वेक्षणों से पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर युवाओं में राजनीतिक को लेकर ज्यादा जागरूकता और जरूरी ज्ञान है.

न्यूज़ डेस्क/ समाचार प्लस, झारखंड- बिहार  

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