न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
झारखंड में जैन धर्मावलम्बियों के पवित्र तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाये जाने का विरोध बढ़ता जा रहा है। पिछले साल 26 दिसम्बर से शुरू हुआ जैनों का विरोध प्रदर्शन व्यापक ही होता जा रहा है। इसको देखकर नहीं लगता कि झारखंड सरकार अपने फैसले पर अडिग रह पायेगी। लेकिन राज्य सरकार की ओर से अभी ऐसी कोई हलचल शुरू नहीं हुई है।
सबके मन में यह जिज्ञासा है कि आखिर सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाये जाने की शुरुआत हुई कैसे? दरअसल, 2019 में केंद्र सरकार ने सम्मेद शिखर को इको सेंसिटिव जोन घोषित किया था। इसके बाद जिला प्रशासन की अनुशंसा पर झारखंड सरकार ने एक संकल्प जारी कर इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल घोषित कर दिया। लेकिन असल विवाद शुरू हुआ एक वायरल वीडियो से जिसमें इस क्षेत्र में किसी युवक को शराब पीते दिखाया गया था। ज्ञात हो इस पूरे परिसर में मांस-मदिरा का सेवन और बिक्री प्रतिबंधित है। इसी वीडियो के बाद जैन समाज चौकन्ना हो गया, क्योंकि इस क्षेत्र के पर्यटन स्थल बन जाने के बाद कई तरह के परिवर्तन की आशंका होने लगी। उन्हें लगने लगा कि ऐसा होने से सम्मेद शिखर जी के स्वरूप से छेड़छाड़ होने लगेगा। वनों की कटाई और खनन के कारण यहां का पर्यावरण भी सुरक्षित नहीं रहेगा। इसके बाद झारखंड से होते हुए देशव्यापी प्रदर्शन शुरू हो गया।
क्या झारखंड सरकार वापस लेगी अपना फैसला?
अब सवाल है कि झारखंड सरकार ने जो फैसला लिया है, क्या वह उससे पीछे हटेगी? दरअसल, इसमें आगे बढ़ने या पीछे हटने जैसी बात ही नहीं है। बस इस सच को स्वीकार करने की जरूरत है कि फैसला लेने में चूक हुई है। देशव्यापी विरोध शुरू हो जाने के बाद अब तो राज्य सरकार में शामिल पार्टियां भी राज्य सरकार के फैसले का समर्थन करेंगी, इसमें शक है। चाहे कांग्रेस हो या फिर राजद ही क्यों न हो, दोनों पार्टियां किसी भी सूरत में अपनी राजनीतिक क्षति होने देना नहीं चाहेंगी। दूसरे विपक्षी दलों की बात करें तो आश्चर्यजनक रूप से AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी जैन समुदाय की मांगों को जायज ठहराया है। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार को फैसला वापस ले लेना चाहिए। फिर भी, भाजपा को छोड़ दिया जाये तो अभी भी यह मुद्दा राजनीतिक मुद्दा नहीं बन पाया है।
जैन धर्म के प्रमुख सिद्धांत
जैन धर्म के सिद्धांतों में जो बातें लिखी हुई हैं, उससे ही यह समझा जा सकता है कि क्यों यह समुदाय अपनी अस्मिता को लेकर चिंतित है। महावीर स्वामी ने 5 महाव्रत अपने अनुयायियों के लिए तय किये हैं-
- अहिंसा :- जैन धर्म में सभी प्रकार की अहिंसा के पालन पर बल दिया गया है।
- सत्य:- सत्य बोलने पर जोर दिया गया है।
- अस्तेय यानी चोरी न करना:- – बिना किसी के अनुमति के उसकी कोई भी वस्तु न लेना।
- अपरिग्रह:- किसी भी प्रकार की सम्पत्ति एकत्रित न करने पर जोर दिया गया है।
- ब्रह्मचर्य:- भिक्षुओं के लिए ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है।
जैन धर्म के इन सिद्धांतों से यह समझा जा सकता है कि जैनियों के लिए शुचिता ही सर्वोपरि है। उनकी शुचिता तभी बनी रह सकती है। जब उनके आसपास ऐसा वातावरण हो जिसमें उनके विपरीत सोच-वालों का अनधिकृत प्रवेश न हो सके। यही कारण है कि झारखंड सरकार द्वारा उनके पवित्र स्थल को पर्यटन स्थल बनाये जाने के बाद उनके मन में कई आशंकाएं उत्पन्न हो गयी है। ये आशंकाएं ऐसी हैं जिनमें बीच का रास्ता भी नहीं निकाला जा सकता।
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