दिल्ली विधानसभा चुनाव की कहानी एक बार फिर घूम कर वहीं पहुंच गयी है जब देश की राजधानी में आम आदमी पार्टी का कोई अस्तित्व नहीं था। यह कहानी 2008 दिल्ली विधानसभा चुनाव की है, दिल्ली में तब कांग्रेस की सरकार बनी थी और कांग्रेस ने 43 सीटें लाकर शीला दीक्षित के नेतृत्व में सत्ता सम्भाली थी। भाजपा पूरी ताकत लगाकर 23 सीटें ला पायी थी। आज जब 2025 विधानसभा चुनाव का परिणाम आ चुका है, दिल्ली की सत्ता पर भाजपा कब्जा कर चुकी है, सीटों की बात करें तो वही 2008 वाली ही स्थिति बनी है। तब कांग्रेस के पास 43 सीटें थी, आज भाजपा के पास 48 सीटें हैं। दूसरे नम्बर तब भाजपा थी और भाजपा के पास 23 सीटें हैं। आज आम आदमी पार्टी दूसरे नम्बर पर है और उसके पास 22 सीटें हैं। इस तरह 27 वर्षों के बाद भाजपा की दिल्ली की सत्ता में वापसी हुई है। 1998 में तब सुषमा स्वराज 52 दिनों के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी थीं।
अब जबकि विधानसभा चुनावों के नतीजे अब सामने आ चुके हैं। भाजपा ने प्रचंड बहुमत से साथ सत्ता में वापसी की है। 27 वर्षों के बाद उसकी सत्ता में वापसी हो रही है। शनिवार सुबह 8.00 बजे से मतगणना हुई हुई। भाजपा ने शुरू से ही बढ़त बना ली। भाजपा ने 70 सीटों में से 48 सीटों कब्जा किया है। आम आदमी पार्टी को भारी नुकसान हुआ है। आप को 22 सीटें ही हासिल हुई हैं। 2020 विधानसभा चुनाव के हिसाब से आप को 40 सीटों का नुकसान हुआ है। वहीं, 2020 के चुनाव में मात्र 8 सीटें जीतने वाली भाजपा 40 सीटों की बढ़त बनायी है। मतगणना के शुरुआत से 1 सीटों पर आगे चल रही कांग्रेस के हाथ एक भी सीट नहीं आयी है।
बता दें की 70 सदस्यीय विधानसभा के लिए 5 फरवरी को मतदान हुआ था, जिसमें कुल 60.54 प्रतिशत मतदान हुआ था। आप लगातार तीसरी बार सत्ता में आने का लक्ष्य लेकर चल रही थी, लेकिन भाजपा दो दशक से अधिक समय के बाद राष्ट्रीय राजधानी में सत्ता में वापसी करती नजर आ रही है।
जहां तक वोट शेयरिंग की बात है तो आम आदमी पार्टी के वोटों में गिरावट आने के बाद भी भाजपा से बहुत ज्यादा पीछे नहीं है। भाजपा जहां अब तक 47 प्रतिशत से ज्यादा वोट लाये हैं, वहीं आप का वोट प्रतिशत 43 प्रतिशत से ज्यादा ही है। इंडी गठबंधन के लिहाज से अगर आप और कांग्रेस साथ लड़ती तो उनका वोट प्रतिशत भाजपा से आगे जा सकता था। कांग्रेस 6 प्रतिशत से ज्यादा वोट लाती दीख रही है। यानी दोनों का प्रतिशत मिलाकर 50 प्रतिशत के करीब हो जाता।
कांग्रेस के लगातार तीसरी बार हाथ खाली
दिल्ली ही नहीं देश की सत्ता पर सबसे ज्यादा समय तक कब्जा करने वाली पार्टी कांग्रेस की इस चुनाव में भी दुर्दशा हो गयी है। यह लगातार तीसरी बार है कि कांग्रेस के हाथ में एक भी सीट नहीं आयी है। आज जब मतगणना शुरू हुई तो कांग्रेस जब कुछ देर तक 1 सीट पर बढ़त बनाये हुए थी, तब लग रहा था कि शायद सीटों का सूखा इस बार खत्म हो जायेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कांग्रेस को दिल्ली में कोई भी सीट 2013 विधानसभा चुनाव में जीते थे, तब उसने कुल 8 सीटें जीती थीं, और 28 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी के सरकार बनवाने में मदद की थी। बता दें कि 2013 में भाजपा 31 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, उसकी सहयोगी पार्टी शिअद को भी एक सीट आयी थी। लेकिन बहुमत के लिए उसका सहयोग करने वाली और कोई दूसरी पार्टी नहीं थी।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
यह भी पढ़ें: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में किसने मारी बाजी, कौन रह गया पीछे