दिल्ली के रामलीला मैदान में अवसर था मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरोध में विपक्षी दलों के शक्ति प्रदर्शन का। विपक्षी दलों के इंडी गठबंधन की 28 पार्टियों के नेता रामलीला मैदान में इकट्ठा हुए थे। सभी नेताओं ने केन्द्र की नरेन्द्र सरकार को कई मुद्दों पर जमकर घेरा। हर पार्टी के नेताओं ने मंच से बहुत कुछ कहा। तमाम नेताओं के साथ झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के भी बोलने की बारी आयी तो उन्होंने बहुत कुछ ही नहीं कहा, बल्कि क्या खूब कहा। कल्पना सोरेन ने दिल्ली में जमा विशाल जनसमूह के साथ देश के दिग्गज नेताओं के बीच जिस तरह से बेबाक होकर अपना भाषण दिया, उसकी सब ओर तारीफ हो रही है। खासकर झामुमो इस बात को लेकर आश्वस्त हो गया कि हेमंत सोरेन के बाद उसे नया नेतृत्व मिल गया है।
पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद समझा जाने लगा था कि अब झामुमो नेतृत्व विहीन हो गया है। शिबू सोरेन के बाद जिस तरह से हेमंत सोरेन ने उनकी विरासत को अच्छे से सम्भाला, उस तरह से इस विरासत को कौन सम्भालेगा। सीता सोरेन ने भी ऐन वक्त पर पाला बदल लिया है। मगर झामुमो के लिए उत्पन्न विकट समय पर जिस तरह से हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने मोर्चा संभाल लिया है, उसे देखकर राजनीतिक पंडित भी आश्चर्य में हैं। अब तक परिवार संभालने वाली कल्पना सोरेन राजनीतिक कमान भी सम्भाल चुकी हैं। राजनीतिक परिवार से होने के बाद भी वह सीधे तौर पर राजनीति से वास्ता नहीं रखती थी। यह अलग बात यह कि सामाजिक सराकारों से जुड़े कार्यकर्मों में वह हमेशा शिरकत करती रही थीं। पति हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद कल्पना सोरेन अपने को घर की सीमा के अंदर नहीं रख पायी। पार्टी के कार्यकर्तावन के दबाब के बाद इन्होंने सीधे चुनावी मैदान में आने का फैसला ले लिया। पूरी उम्मीद है कि लोकसभा चुनावों के साथ झारखंड के गांडेय उपचुनाव से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करेंगी।
रामलीला मैदान में कल्पना सोरेन को पहली बार विपक्ष के राष्ट्रीय नेताओं के साथ मंच साझा करने का मौका मिला था। उन्होंने इस मौके को अच्छी तरह से भुनाया भी। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत में आदिवासी शहीदों को नमन किया और कहा कि वह देश के आदिवासी समाज की आवाज को बुलंद करने के लिए यहां आयी हैं। उन्होंने कहा कि तानाशाही खत्म करने का अब समय आ गया है. उन्होंने जिस प्रखरता से अपनी बातों को कहा, उससे ज्यादातर नेता काफी प्रभावित नजर आये। चुनावी सभाओं को लगातार कवर करने वाले मीडिया कर्मियों का भी यह कहना था कि जिस तरह से कल्पना सोरेन ने समा बांधा, वह काबिले तारीफ है। कल्पना सोरेन अपने सम्बोधन के दौरान आत्मविश्वास से लबरेज दिखीं। कल्पना सोरेन ने दिखा दिया है कि परिस्थिति से वह जूझना जानती हैं।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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