जामा की पूर्व विधायक और भाजपा नेत्री सीता सोरेन (Sita Soren) ने आज सोशल मीडिया एक्स के हवाले अपने गुस्से का इजहार किया।
उन्होंने पोस्ट में लिखा मेरे पति स्वर्गीय दुर्गा सोरेन जी के निधन के बाद से मेरे और मेरे बच्चों के जीवन में जो परिवर्तन आया, वह किसी भयावह सपने से कम नहीं था। मुझे और मेरी बेटियों को न केवल उपेक्षित किया गया, बल्कि हमें सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी अलग-थलग कर दिया गया। ईश्वर जानता है कि मैंने इस दौर में अपने बेटियों को कैसे पाला है। मुझे और मेरी बेटियों को उस शून्य में छोड़ दिया गया, जहां से बाहर निकल पाना हमारे लिए असंभव लग रहा था।
मेरे पति स्वर्गीय दुर्गा सोरेन जी के निधन के बाद से मेरे और मेरे बच्चों के जीवन में जो परिवर्तन आया, वह किसी भयावह सपने से कम नहीं था। मुझे और मेरी बेटियों को न केवल उपेक्षित किया गया, बल्कि हमें सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी अलग-थलग कर दिया गया। 1/7
— Sita Soren (@SitaSorenMLA) March 20, 2024
मैंने न केवल एक पति खोया, बल्कि एक अभिभावक, एक साथी और अपने सबसे बड़े समर्थक को भी खो दिया। मेरे इस्तीफे के पीछे कोई राजनीतिक कारण नहीं है। यह मेरी और मेरी बेटियों की पीड़ा, उपेक्षा और हमारे साथ हुए अन्याय के खिलाफ एक आवाज है।
जिस झारखंड मुक्ति मोर्चा को मेरे पति ने अपने खून-पसीने से सींचा, वह पार्टी आज अपने मूल्यों और कर्तव्यों से भटक गई है। मेरे लिए, यह सिर्फ एक पार्टी नहीं, बल्कि मेरे परिवार का एक हिस्सा था। मेरा निर्णय भले ही दुःखदायी हो, लेकिन यह अनिवार्य था। मैंने समझ लिया है कि अपनी आत्मा की आवाज़ सुनना और अपने आदर्शों के प्रति सच्चे रहना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। मैं समस्त झारखंडवासियों से अनुरोध करती हूं कि मेरे इस्तीफे को एक व्यक्तिगत संघर्ष के रूप में देखें, न कि किसी राजनीतिक चाल के रूप में।
झारखंड और झारखंडियों के लिये अपने जीवन का बलिदान देने वाले स्वर्गीय दुर्गा सोरेन जी के नाम की आज दुहाई देकर घड़ियाली आंसू बहाने वाले लोगों से विनती है कि मेरे मुँह में अंगुली नहीं डालें। वरना अगर मैं और मेरे बच्चों ने मुँह खोलकर भयावह सच्चाई उजागर किया तो कितनों का राजनैतिक और सत्ता सुख का सपना चूर चूर हो जायेगा और झारखंड की जनता वैसे लोगों के नाम पर थूकेंगी जिन्होंने हमेशा से दुर्गा सोरेन और उनके लोगों को मिटाकर समाप्त करने की साज़िश की है।