27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को समर्थन देने के लिए क्रॉस वोटिंग करने की हिमाचल प्रदेश के 6 कांग्रेसी विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने राज्य में उत्पन्न राजनीतिक हालात के बाद कड़ा निर्णय लेते हुए यह कार्रवाई की है। विधानसभा की सदस्यता रद्द होने के बाद कांग्रेस के इन विधायकों के कोर्ट जाने की संभावना है। विधानसभा के अध्यक्ष ने विधायकों की सदस्यता रद्द करते हुए कहा कि बजट पास होते वक्त ये सभी कांग्रेस विधायक मौजूद नहीं थे और उन्होंने पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया। खास बात ये है कि इन सभी कांग्रेस विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग भी की थी। बता दें कि राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद इन सभी विधायकों के भाजपा में जाने की अटकलें लगायी जा रही थीं। हालांकि इन विधायकों ने पाला बदलने की कोई भी आधिकारिक घोषणा नहीं की थी।
हिमाचल प्रदेश के क्या हैं राजनीतिक हालात?
हिमाचल प्रदेश के राजनीतिक हालात पर अब अटकलें लग रही हैं कि विधायकों की बगावत और उनकी सदस्यता रद्द होने के बाद सुक्खू सरकार पर कितना खतरा है। बता दें कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या 68 है। कांग्रेस के 40 विधायक हैं, वहीं, बीजेपी के पास 25 विधायक। 3 विधायक निर्दलीय हैं। अब कांग्रेस के 6 विधायकों की सदस्यता जाने के बाद अब सदन में विधायकों की संख्या 62 रह गई है। कांग्रेस के पास 34 विधायक बचे हैं। इस तरह बहुमत का आंकड़ा फिलहाल 33 विधायकों का है और कांग्रेस के पास इससे 1 ही ज्यादा विधायक है।
क्या हो सकता है आगे?
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के पास जितने विधायक है, उसके बल पर राज्यपाल के सामने विधायकों की परेड या फ्लोर टेस्ट की नौबत आयी तो उस टेस्ट में सुक्खू सरकार पास हो जायेगी। लेकिन जिन छह विधायकों के पद वाकई में रिक्त हो जायेंगे तो उन पर तो छह महीने के अन्दर चुनाव तो कराये ही जायेंगे। अगर भाजपा ने वह छह सीटें निकाल लीं तब क्या होगा, यह भी बड़ा प्रश्न है। और इसकी क्या गारंटी है कि कांग्रेस के और विधायक पाला न बदलें या शक्ति परीक्षण में शामिल ही न हों। क्योंकि यहां यह याद रखना होगा कि राज्यसभा चुनाव में 6 विधायकों ने नहीं, 9 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी। एक सवाल यहां यह भी बाकी है कि विधायकों के कोर्ट की शरण में जाने पर अभी कोर्ट का फैसला भी आना बाकी है। क्योंकि जिस ग्राउंड पर विधायकों की सदस्यता रद्द की गयी है, उसे कोर्ट कितना जायज समझता है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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