RBI Plastic Notes: देश में एक बार फिर से प्लास्टिक के नोट लाने की चर्चा शुरू हुई है। प्लास्टिक के नोटों की चर्चा भारत में 2018 से चल रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस पर लगातार अध्ययन कर रहा है। केन्द्र सरकार वैसे कह चुकी है कि प्लास्टिक के नोट लाने की उसकी कोई योजना नहीं, लेकिन RBI में सुगबुगाहट बढ़ी है। दरअसल RBI की नकली नोटों पर अंकुश लगाने की कवायद के कारण ऐसी ऐसी अटकलें लगायी जा रही हैं। भारत में भले ही प्लास्टिक के नोटों का चलन नहीं है, लेकिन कई ऐसे देश हैं जहां प्लास्टिक के नोट चलते हैं। हालांकि प्लास्टिक के नोटों के फायदे भी हैं तो नुकसान भी हैं।
23 देशों में चलते हैं प्लास्टिक के नोट
दुनिया में लगभग 23 देशों में प्लास्टिक के नोट चलते हैं। 6 देशों ने तो अपने सभी नोटों को प्लास्टिक के नोटों में बदल दिया है। प्लास्टिक के नोटों की शुरुआत करने वाला वैसे तो पहले देश पापुआ न्यू गिनी है जिसने 1975 में ही इसकी शुरुआत की थी। लेकिन व्यवस्थित तरीके के शुरुआत करने के कारण आस्ट्रेलिया को प्लास्टिक के नोटों की शुरुआत करने वाला पहला देश माना जाता है। आस्ट्रेलिया ने 1988 में ही प्लास्टिक के नोटों का चलन शुरू कर दिया है।
- ऑस्ट्रेलिया
- न्यूजीलैंड
- रोमानिया
- पापुआ न्यू गिनी
- वियतनाम 2003
- ब्रुनेई 2004
- ब्राजील
- चीन
- हांगकांग
- इंडोनेशिया
- इजरायल
- लेबनान
- मलेशिया
- मैक्सिको
- नेपाल
- निकारागुआ
- पोलैंड
- सिंगापुर
- श्रीलंका
- थाईलैंड
- यूक्रेन
- उरुग्वे
प्लास्टिक नोटों के फायदे
- टिकाऊ होते हैं और जल्दी खराब नहीं होते
- नमी और गंदगी से बचे रहते हैं
- जालसाजी करना मुश्किल होता है
प्लास्टिक नोटों के नुकसान
- कागज के नोटों की तुलना में अधिक महंगे होते हैं
- उन्हें रीसाइकिल करना मुश्किल होता है
- पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकते हैं
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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