सफलता इंसान को केवल मेहनत करने के बाद ही मिल सकती है और मेहनत करने की कोई उम्र नहीं होती।अगर आप ठान लें और मेहनत के साथ उस काम को करें तो सफलता जरूर आपके कदम चूमेगी।इसकी ही एक मिसाल हैं तिलक मेहता (Tilak Mehta)। जिस उम्र में लोग स्कूल की पढ़ाई और खेल-कूद में लगे रहते हैं, उस उम्र में तिलक ने 100 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाली कंपनी खड़ी कर दी। अब वह (Tilak Mehta) खुद रोज 7 लाख रुपये कमाते हैं, जबकि 5 हजार से ज्यादा लोगों की आमदनी भी उन्होंने दोगुनी कर दी है।तिलक ने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ बिजनेस को जारी रखा और दो सालों में एक सफल एंटरप्रेन्योर बन गए। छोटी उम्र में तिलक 200 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रहे हैं। 13 साल की उम्र में तिलक मेहता (Tilak Mehta) स्टार्टअप कंपनी पेपर-एन-पार्सल की शुरुआत की। आज वह करीब 20साल के हैं।
पिता के थकान से आया बिजनेस का आइडिया
साल 2006 में तिलक (Tilak Mehta) का जन्म गुजरात में जन्मे तिलक आज एक कंपनी के फाउंडर हैं। उनके पिता विशाल मेहता लॉजिस्टिक बेस्ड कंपनी से जुड़े हैं। तिलक की मां काजल मेहता हाउसवाइफ हैं। उनकी एक बहन भी है। तिलक जब 13 साल के थे, तभी एक घटना ने उन्हें बिजनेस शुरू करने का आइडिया दे दिया। तिलक मेहता को अपने बिजनेस का आइडिया अपने पिता के थकान से आया था। ऑफिस से लौटने के बाद जब कभी भी वो अपने पिता से बाजार से स्टेशनरी का सामान लाने के लिए कहते, उन्हें बहुत बुरा लगता था। पिता की थकान को देखकर कभी बार तो वो बोल भी नहीं पाते थे कि उन्हें स्कूल के लिए स्टेशनरी चाहिए।
इस घटना से मिली कूरियर सर्विस शुरू करने की प्रेरणा
तिलक(Tilak Mehta) को यह आइडिया अपने साथ हुई एक घटना के बाद आया। एक बार तिलक अपने चाचा के घर छुट्टियों पर गए थे। घर लौटते वक्त वो अपनी एक किताब उनक घर ही भूल आए। परीक्षा शुरू होने वाली थी, उन्हें वो किताब चाहिए थी, लेकिन जब उन्होंने कुरियर एजेंसियों से बात की तो पता चला कि किताब से महंगा तो उसका कुरियर चार्ज हो रहा है। पैसे खर्च करने के बाद भी उन्हें एक दिन में किताब की डिलीवरी नहीं मिल पा रही थी। इस घटना के बाद उन्हें अपने बिजनेस के लिए आइडिया मिल गया।तिलक मेहता को यहीं से बिजनेस का आइडिया आया। उन्होंने अपने बिजनेस प्लान पिता के साथ साझा किया। उन्होंने कूरियर सर्विस की शुरू करने का पूरा प्लान तैयार कर लिया। पिता ने उन्हें शुरुआती फंड दिया, उनकी मुलाकात बैंक अधिकारी घनश्याम पारेख से करवाई, जिन्होंने तिलक के बिजनेस में निवेश किया। तिलक का आइडिया सुनकर उन्होंने बैंक की नौकरी छोड़कर बिजनेस ज्वाइन कर लिया। दोनों ने मिलकर पेपर एन पार्सल नाम की कुरियर सर्विस शुरू की। तिलक ने अपनी कंपनी का नाम ‘पेपर एंड पेंसिल’ रखा और घनश्याम पारेख को कंपनी का सीईओ बनाया.
युवा बिजनेस मैन का ख़िताब मिला
तिलक ने एक दिन में डिलीवरी के लिए मुंबई के डिब्बावालों की मदद ली। शुरू में उनकी कंपनी ने बुटीक और स्टेशनरी शॉप वालों से छोटे-छोटे ऑर्डर लेकर उसकी डिलीवरी करते थे। बाद में स्टेशनरी भी करने लगे। कम खर्च में वो कुछ ही घंटों में मुंबई लोकल में सामान पहुंचा देते थे। उन्होंने छोटे-छोटे लोकल शॉप, डिब्बावालों, कुरियर एजेंट के साथ मिलकर पूरा नेटवर्क बनाया। आज उनकी कंपनी 200 से ज्यादा लोगों को रोजगार देती है। तिलक का लक्ष्य टर्नओवर जल्द से जल्द 200 करोड़ के पार पहुंचाना है। इस छोटे एंटरप्रेन्योर की काबिलियत देखकर साल 2018 में उन्हें इंडिया मैरीटाइम अवार्ड्स में युवा बिजनेस मैन का ख़िताब मिला। उनकी कंपनी लोगों को डोरस्टेप सर्विस देती है। और कंपनी मोबाइल एप्लिकेशन के जरिए करती है। उनके साथ 200 कर्मचारी और 300 से अधिक डिब्बावाले जुड़े हैं। इन डिब्बावालों की मदद से कंपनी हर होज 1200 से ज्यादा पार्सल डिलीवर कर रही थी। हर एक पार्सल को पहुंचाने के लिए 40 से 180 रुपए तक का चार्ज करती है।
न्यूज़ डेस्क/ समाचार प्लस, झारखंड- बिहार
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