महाकुंभ में ‘कलाग्राम’ भारत की सांस्कृतिक विविधता और विरासत को प्रदर्शित करेगा

15,000 प्रख्यात कलाकार महाकुंभ में देंगे प्रस्तुतियां

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में सोमवार यानी 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी, 2025 तक आयोजित होने वाला महाकुंभ एक ऐतिहासिक आयोजन होगा, जिसमें दुनिया भर से 40 से 45 करोड़ श्रद्धालु आएंगे। आध्यात्मिकता, परंपरा और सांस्कृतिक विरासत का यह पवित्र संगम एक बार फिर भारत की एकता और भक्ति की चिरस्थायी भावना की पुष्टि करेगा। यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के हिस्से के रूप में मान्यता प्राप्त महाकुंभ, केवल एक आयोजन नहीं है, बल्कि एक गहन अनुभव है जो सीमाओं को पार करता है और दुनिया भर के लोगों को एकजुट करता है।

4,000 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला यह मेला भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं और उन्नत संगठनात्मक क्षमताओं के सामंजस्यपूर्ण मिश्रण का प्रतिनिधित्व करता है। इसके केंद्र में शाही स्नान है, जो गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम पर किया जाने वाला एक अनुष्ठानिक स्नान है , जिसे पापों को धोने और आध्यात्मिक मुक्ति प्रदान करने वाला माना जाता है। ज्योतिषीय रूप से महत्वपूर्ण, महाकुंभ सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति से जुड़े दुर्लभ खगोलीय संरेखण द्वारा निर्धारित किया जाता है , जो भारत के प्राचीन ज्ञान की गहराई को दर्शाता है। पौराणिक कथाओं में निहित और लाखों लोगों द्वारा पूजी जाने वाली यह कालातीत परंपरा ब्रह्मांडीय शक्तियों और मानवीय आध्यात्मिकता के बीच संबंध को रेखांकित करती है।

महाकुंभ में कलाग्राम : सीमाओं से परे एक उत्सव

महाकुंभ में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा स्थापित कलाग्राम, भारत की विविधता में एकता को दर्शाता है, कला, आध्यात्मिकता और संस्कृति को एक अविस्मरणीय अनुभव में पिरोता है। उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से, यह पहल भक्तों और आगंतुकों के लिए एक परिवर्तनकारी यात्रा की पेशकश करते हुए अपनी विरासत को संरक्षित करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है।

महाकुंभ 2025 में कलाग्राम एक आयोजन से कहीं अधिक है – यह भारत के गौरवशाली अतीत और जीवंत वर्तमान का जीवंत कैनवास है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करने के लिए तैयार है।

शिल्प, भोजन और सांस्कृतिक प्रदर्शनों के माध्यम से कलाग्राम राष्ट्र की कालातीत परंपराओं को प्रदर्शित करने तथा कलात्मक प्रतिभा के साथ आध्यात्मिकता का सम्मिश्रण करने की संस्कृति मंत्रालय की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

आगंतुकों का स्वागत 35 फुट चौड़े तथा 54 फुट ऊंचे भव्य प्रवेश द्वार से होगा, जो 12 ज्योतिर्लिंगों के जटिल चित्रण और भगवान शिव द्वारा हलाहल का सेवन करने की पौराणिक कथा से सुसज्जित है , जो आंतरिक यात्रा के लिए एक राजसी माहौल तैयार करता है।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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