कल से शुरू हो रहा प्रयागराज का महाकुम्भ, श्रद्धालुओं के आने का टूटेगा रिकॉर्ड, इस बार सुविधाओं की भरमार

धार्मिक ही नहीं आर्थिक महत्व भी है महाकुम्भ मेले का

भारतीय सनातन संस्कृति का सबसे बड़ा महापर्व है 12 साल में लगने वाला महाकुम्भ मेला। प्रयागराज महाकुम्भ मेला पौष पूर्णिमा से शुरू हो रहा है। 45 दिनों तक चलने वाला महाकुंभ मेला भारतीय मानस का ऐसा महापर्व है जो सिर्फ अपने आप में सांस्कृतिक महत्व को समेटे हुए है, बल्कि इसका सामाजिक और आर्थिक महत्व भी है। भौगोलिकता की दृष्टि से भी कुम्भ का आयोजन विशालता भी लिए हुए है। कुम्भ मेला स्थल चार पवित्र नदियों के तट पर स्थित चार तीर्थस्थलों में से एक के बीच घूमता रहता है। हरिद्वार, उत्तराखंड में, गंगा के तट पर;) मध्य प्रदेश के उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर, नासिक, महाराष्ट्र में गोदावरी के तट पर और उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर। प्रत्येक स्थल का उत्सव, सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की ज्योतिषीय स्थितियों के एक अलग सेट पर आधारित है। उत्सव ठीक उसी समय होता है जब ये स्थितियां पूरी तरह से व्याप्त होती हैं, क्योंकि इसे हिंदू धर्म में सबसे पवित्र समय माना जाता है। कुंभ मेला ऐसा आयोजन है जो आंतरिक रूप से खगोल विज्ञान, ज्योतिष, आध्यात्मिकता, अनुष्ठानिक परंपराओं और सामाजिक-सांस्कृतिक रीति-रिवाजों और प्रथाओं के विज्ञान को समाहित करता है, जिससे यह ज्ञान में बेहद समृद्ध हो जाता है।

विश्व का सबसे बड़ा सार्वजनिक समागम

कुम्भ मेला दुनिया का सबसे बड़ा सार्वजनिक समागम है। लगभग 45 दिनों तक चलने वाले इस मेले में करोड़ों पवित्र नदियों के तट पर एकत्र होते हैं। इस बार प्रयागराज के पवित्र संगम पर स्नान करने के लिए आयेंगे। मुख्य रूप से इस समागन में तपस्वी, संत, साधु, साध्वियां, कल्पवासी और सभी क्षेत्रों के तीर्थयात्री शामिल होते हैं। परन्तु सामान्य गृहस्थ भी पुण्य के भागी बनने के लिए कुम्भ स्नाने के लिए पवित्र नदियों के तट पर सदियों से आते रहे हैं। इस बार महाकुंभ मेला 2025 प्रयागराज में 13 जनवरी, 2025 से 26 फरवरी, 2025 तक आयोजित होगा। 2019 में प्रयागराज में अर्ध कुंभ मेले में दुनिया भर से 15 करोड़ पर्यटक आये थे। इस बार यह आंकड़ा और भी पार कर जायेगा। कुंभ मेला कई शताब्दियों से मनाया जाता है। प्रयागराज कुंभ मेले का सबसे पहला उल्लेख वर्ष 1600 ई. में मिलता है और अन्य स्थानों पर, कुंभ मेला 14वीं शताब्दी की शुरुआत में आयोजित किया गया था।

प्रयाग आने वालों के लिए विशेष व्यवस्था

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के द्वारा दाव किया जा रहा है कि इस बार का महाकुम्भ सुविधाओं के मामले में सारे रिकॉर्ड तोड़ देगा। आगंतुकों के लिए यहां जो टेंट सिटी बनायी गयी है, वह अलग ही अनुभव कराने वाली है। लोगों के आने जाने, सुरक्षा के विशेष इंतजाम इस बार किये गये हैं। महाकुंभ में श्रद्धालुओं को पैदल चलने की परेशानी से निजात मिलेगी। महाकुंभ मेला प्रशासन ने कई दौर की बैठकों और रिसर्च के बाद नया ट्रैफिक प्लान तैयार किया है। इसके मुताबिक किसी भी श्रद्धालु को संगम स्नान के लिए 4 किलोमीटर से ज्यादा पैदल नहीं चलना पड़ेगा। जबकि पिछले कुंभ मेले में 20-25 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा था।

मेला प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रयागराज आने के कुल 7 रूट तय किए हैं। इन रूटों पर मेला क्षेत्र के नजदीक कुल 102 पार्किंग स्थल बनाए गए हैं। इन पार्किंग स्थलों पर 5 लाख वाहन आसानी से पार्क किए जा सकेंगे। इनमें अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 24 सेटेलाइट पार्किंग स्थल भी शामिल हैं, जो संगम से महज 2 से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। साथ ही पार्किंग स्थलों में क्लॉक रूम, वेंडिंग जोन, चिकित्सा सुविधाएं, पेयजल व शौचालय आदि की व्यवस्था भी की गई है। यहां साइनएज, बिजली, प्रकाश की व्यवस्था और पब्लिक एड्रेस सिस्टम और वॉच टॉवर भी लगाया गया है।

कुंभ मेले में सत्संग, प्रार्थना, आध्यात्मिक व्याख्यान, लंगर भोजन का आनंद सभी उठा सकते हैं। बड़ा उद्योगपति घराना अडाणी ग्रुप और इस्कॉन मंदिर मिल कर मुफ्त में श्रद्धालुओं के लिए भोजन की व्यवस्था कर रहे हैं।

  • महाकुम्भ 2025 के मुख्य स्नान
  • मुख्य स्नान पर्व 13.01.2025
  • मकर संक्रान्ति 14.01.2025
  • मौनी अमावस्या 29.01.2025
  • बसंत पंचमी 03.02.2025
  • माघी पूर्णिमा 12.02.2025
  • महाशिवरात्रि 26.02.2025

महाकुंभ का आध्यात्मिक और आर्थिक महत्व

प्रयागराज में आयोजित हो रहे महाकुम्भ का आध्यात्मिक महत्व तो है ही, साथ ही, आज के परिप्रेक्ष्य में इस महाकुम्भ का आर्थिक महत्व भी है। प्रत्येक 3 वर्षों के अंतराल पर आयोजित होने वाले कुम्भ के मेले में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु ईश्वर की पूजा अर्चना हेतु प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक एवं उज्जैन में पहुंचते हैं। प्रयग्राज में आयोजित तो रहे महाकुम्भ की 44 दिनों की इस इस पूरी अवधि में प्रतिदिन एक करोड़ श्रद्धालुओं के भारत एवं अन्य देशों से प्रयागराज पहुंचने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है, इस प्रकार, कुल मिलाकर लगभग 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुगण उक्त 44 दिनों की अवधि में प्रयागराज पहुंचेंगे। करोड़ों की संख्या में पहुंचने वाले इन श्रद्धालुगणों द्वारा इन तीर्थस्थलों पर अच्छी खासी मात्रा में खर्च भी किये जाने की सम्भावना है। जिससे विशेष रूप से स्थानीय अर्थव्यवस्था को तो बल मिलेगा ही, साथ ही करोड़ों की संख्या में देश में रोजगार के नए अवसर भी निर्मित होंगे एवं होटल उद्योग, यातायात उद्योग, पर्यटन से जुड़े व्यवसाय, स्थानीय स्तर के छोटे छोटे उद्योग एवं विभिन्न उत्पादों के क्षेत्र में कार्य कर रहे व्यापारियों के व्यवसाय में भी अतुलनीय वृद्धि होगी।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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