यह झारखंड का सौभाग्य है कि आज यानी 11 जनवरी को झारखंड की राजनीति को नये मुकाम तक पहुंचाने वाले दो दिग्गज आदिवासी नेता- झामुमो प्रमुख शिबू सोरन और भाजपा अध्यक्ष और पूर्व सीएम शिबू सोरेन अपना जन्म दिन मना रहे हैं। झामुमो और भाजपा इन दिगग्ज नेताओं को अपने-अपने तरीके से बधाइयां देकर उनकी दीर्घायु की कामना कर रहे हैं ताकि लम्बे समय तक झारखंड की जनता इनके सान्निध्य और छत्रछाया में रह सके।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि ये दोनों नेता झारखंड की राजनीति के दो स्तंभ हैं। दिशोम गुरू शिबू सोरेन और दूसरे हैं बाबूलाल मरांडी, दोनों ही आदिवासी समाज के दिग्गज नेता हैं और दोनों नेताओं की राजनीतिक उपलब्धियां बहुत बड़ी हैं।
81 साल के हो चुके शिबू सोरेन झारखंड अलग राज्य स्थापना के संघर्ष की उपज हैं। 1944 में रामगढ़ के नेमरा गांव में जन्मे शिबू सोरेन का सारा जीवन झारखंड राज्य स्थापना और फिर झारखंड राज्य को नये मुकाम देने में बीता। शिबू सोरेन की अगली पीढ़ी यानी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज उनकी इसी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
शिबू सोरेन के संघर्ष की कहानी शुरू होती है पिता सोबरन मांझी की 1957 में हत्या के बाद से। सोबरन मांझी महाजनी प्रथा के खिलाफ लगातार आंदोलन कर रहे थे। अपने पिता की हत्या के बाद ही शिबू सोरेन आदिवासी हित में न सिर्फ महाजनी प्रथा खिलाफ आन्दोलन को आगे बढ़ा, बल्कि उनका आन्दोलन और भी उग्र होकर सामने आया। उन्होंने धान काटो आंदोलन चलाया। झारखंड मुक्ति मोर्चा का 1972 में गठन हुआ। शिबू सोरेन ने अलग झारखंड की मांग को लेकर आंदोलन चलाया। आखिरकार काफी संघर्षों के बाद सन् 2000 में झारखंड राज्य का उदय हुआ।
शिबू सोरेन का सक्रिय राजनीति में प्रवेस 1977 में हुए। वह चुनाव लड़े, लेकिन हार गये। उसके बाद उन्होंने संथाल की ओर अपना रुख किया। 1980 में वह पहली बार दुमका से जीते। वह 8 बार यहां से जीते। शिबू सोरेन दो बार राज्यसभा सांसद भी बने। केंद्र में उन्होंने कोयला मंत्रालय का भार भी संभाला। दिशोम गुरु झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री बने।
यह सौभाग्य है कि आज ही दिन प्रदेश के दूसरे दिग्गज नेता बाबूलाल मरांडी का भी जन्मदिन है। वह फिलहाल भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। इनका जन्म 11 जनवरी 1958 में गिरिडीह के कोदाईबांक गांव में हुआ था। वह किसान परिवार से आते हैं। शिक्षक के रूप में जीवन की शुरुआत करके बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया।
मरांडी झारखंड गठन के बाद पहले मुख्यमंत्री बने थे। 1990 में बाबूलाल मरांडी बीजेपी के संथाल परगना के संगठन मंत्री बने। बाबूलाल मरांडी दुमका में शिबू सोरेन के विजय रथ को रोका। वहां से सांसद बने। 2000 में झारखंड गठन के बाद वह राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने। वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री भी बने। साल 2003 में उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया। बाबूलाल मरांडी ने 2006 में अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का गठन किया. तीन चुनाव लड़े. साल 2020 में उन्होंने पार्टी का विलय बीजेपी में कर दिया।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
यह भी पढ़ें: बाघमारा में हुई हिंसक झड़प के दोषियों को मिलेगी सख्त सजा- सीएम हेमंत सोरेन