झारखंड के लिए शनिवार का दिन काफी खास है। आज राजस्थान के जैसलमेर में जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक होने वाली है। जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी। इस बैठक में क्या-क्या निर्णय लिये जायेंगे। यह तो आज पता चल ही जायेगा, लेकिन इस बैठक में झारखंड के वित्तमंत्री राधाकृष्ण किशोर झारखंड की बकाया राजस्व राशि (1.36 लाख करोड़ रुपये) का हिसाब मांगने वाले हैं। बता दें कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पिछले कुछ महीनों से राज्य के कोयले की बकाया राशि को हर मंच पर उठाते रहे हैं। उनका कहना है कि अगर यह राशि केन्द्र सरकार और कोयला कम्पनियों से वापस मिल जाये तो इसका उपयोग राज्य के विकास कार्यों में किया जा सकता है।
बता दें कि अभी कुछ दिनों पहले बिहार के पूर्णिया के कांग्रेस सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने यह मुद्दा संसद में उठाया था। जिसमें वित्त मंत्रालय ने टका सा जवाब दिया कि झारखंड के राजस्व को कोई भी बकाया केन्द्र सरकार पर नहीं है। इसके बाद झारखंड की राजनीति पूरी तरह से गर्म हो गयी। हेमंत सोरेन ने इसके लिए कानूनी लड़ाई की बात भी कही और राज्य के भाजपा नेताओं से अपील भी की कि वे यह राशि वापस दिलाने में उनकी मदद करें।
बता दें कि केंद्र सरकार पर झारखंड के 1.36 लाख करोड़ रुपये के बकाया राशि के दावे को केंद्र सरकार की तरफ से ठुकराए जाने के बाद हेमन्त सरकार एक्शन में आ गयी है। कोल कंपनियों के यहां 1.36 लाख करोड़ रुपये बकाए की वसूली के लिए राज्य सरकार ने लीगल प्रोसेस शुरू करने का आदेश दिया है। भू-राजस्व विभाग के विशेष सचिव को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है। विशेष सचिव 15 दिनों के अंतराल पर भू-राजस्व सचिव को विधिक कार्रवाई की प्रगति से अवगत कराएंगे।
इधर भाजपा ने भी यह मुद्दा गर्म होने के बाद राज्य सरकार को यह आश्वासन दिया है कि अगर सरकार की मांग जायज है तो इन पैसों की वापसी के लिए जो भी प्रयास होंगे, वह करेंगे। पर यहां एक प्रश्न अवश्य उठता है, जैसे कि कहा जा रहा है कि झारखंड की यह राशि 2005 से बकाया है। अगर 2005 से अब तक के पन्नों को पटले तो केन्द्र में 2014 तक तो कांग्रेस (यूपीए), जिसमें झामुमो भी शामिल था, की सरकार थी, फिर इतने दिनों तक यह राशि झारखंड को क्यों नहीं मिली। रही बात झारखंड की तो 2005 से लेकर 2024 तक सत्ता की अदला-बदली के बाद भी झामुमो ने कई वर्ष सत्ता में रहा है, शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन भी मुख्यमंत्री इस काल में रहे, फिर भी बकाया राशि की मांग का नहीं उठना या उठाया जाना क्या आश्चर्य पैदा नहीं करता है?
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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