Jharkhand में चल रही पॉवर पॉलिटिक्स! दबाव में कौन है- ईडी या हेमंत!

Power politics going on in Jharkhand! Who is under pressure – ED or Hemant!

जब हेमंत सोरेन से होनी है पूछताछ तो सरकार के विधायक सीएम हाउस में क्यों?

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से अब से कुछ देर बाद बरियातू के आर्मी लैंड स्कैम में पूछताछ करने वाली है। लेकिन खबर आ रही है कि इस समय झारखंड की हेमंत सरकार में शामिल पार्टियों के विधायकों का भी सीएम आवास में आना जारी है। आखिर इनकी क्या आवश्यकता आन पड़ी है? जाहिर है ईडी ने इन्हें नहीं बुलाया है। तो क्या सीएम हेमंत कोई पावर पॉलिटिक्स तो नहीं कर रहे हैं ईडी और केन्द्र पर दबाव बनाने के लिए? लग तो ऐसा ही रहा है कि सीएम हेमंत सोरेन नहीं चाहते की ईडी उन पर किसी प्रकार का दबाव बनाये। बल्कि वह तो यही चाहते होंगे कि विधायक दल के सदस्यों की उपस्थिति से ईडी दबाव में आ जाये। क्या वाकई में ऐसा होगा? या हेमंत सोरेन का इरादा कुछ और है?

क्या हो सकती है हेमंत सोरेन की रणनीति?

पिछले कुछ समय से जिस प्रकार से हेमंत सोरेन की पार्टी झामुमो साहिबगंज और राजधानी रांची में ईडी के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है, उससे तो यही लगता है कि यह ईडी पर दबाव बनाने का प्रयास हो रहा है। झामुमो को प्रदर्शन के पहले कांग्रेस के नेता बंधु तिर्की ईडी को लेकर आपत्तिजनक बयान दे चुके हैं। तो क्या झारखंड में जो कुछ हो रहा है वह किसी रणनीति और सोझी-समझी योजना के तहत हो रहा है? अब जब ईडी की पूछताछ के दिन झारखंड की  हेमंत सरकार में शामिल विधायकों का सीएम आवास में आना लगा हुआ तो इससे दो बातें सामने आ रही हैं। पहले यह कि हेमंत सरकार ईडी के बहाने केन्द्र को भी अपनी ताकत का एहसास कराना चाह रही है। दूसरा यह कि ईडी की पूछताछ में अगर कुछ ऐसा होता जिससे राज्य में संवैधानिक संकट उत्पन्न हो तब सभी विधायक मिल कर विधायक दल का नेता चुन सकें और राज्य को राजनीतिक संकट में आने से बचा सकें। हालांकि इसके लिए सीएम आवास आना आवश्यक नहीं है, यह निर्णय कहीं भी लिया जा सकता है। हेमंत की ही सरकार इससे पहले भी ऐसा कर चुकी है। तो ज्यादा उम्मीद इसी बात की है कि यह सिर्फ दबाव बनाने की पॉलिसी है।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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