आज बात करते हैं, झारखंड के राज्यसभा चुनाव की। वैसे तो झारखंड में राज्यसभा चुनाव में दो साल का समय शेष है। 21 जून 2026 को झारखंड के दो राज्यसभा सांसदों- झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रह चुके दीपक प्रकाश का कार्यकाल समाप्त हो जायेगा। भले ही राज्यसभा चुनाव में अभी दो वर्षों का समय शेष है, लेकिन उसके लिए तैयारियां, राजनीति और रणनीति अभी से शुरू हो चुकी है। इंडी गठबंधन जो प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आया है, उसकी तो बाछें खिली हुई हैं कि 2026 के राज्यसभा चुनाव में बाजी तो वही मारेगा। मगर यह इतना आसान नहीं है। आसान इसलिए नहीं है, क्योंकि गठबंधन में दो बड़ी पार्टियां है- झामुमो और कांग्रेस। झामुमो 34 सीटों के साथ सबसे आगे है, वहीं कांग्रेस ने भी 16 सीटें जीती हैं। इसलिए 2026 में जब सीटों का फॉर्मूला इंडी गठबंधन में सेट होगा तब झामुमो चाहेगा कि दोनों सीटें उसके फोल्डर में रहें। ऐसी कांग्रेस की भी इच्छा होगी कि दोनों सीटें उसे मिल जायें। ऐसा शायद इसलिए कि पिछली बार यानी इसी साल हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को तो मना लिया गया था, लेकिन शायद कांग्रेस इस बार मानने या मनाने वाली स्थिति से बाहर होगी। खुद हेमंत सोरेन भी इस बात को अच्छी तरह से समझते होंगे की इंडी गठबंधन की मजबूती में कांग्रेस की मिली 16 सीटों का कितना अहम योगदान है। लेकिन कांग्रेस को सीट या सीटें देना उनके लिए बड़ी मुसीबत खड़ी करेगी।
झामुमो से कौन-कौन से नेता हैं राज्यसभा की कतार में?
झामुमो से राज्यसभा जाने वालों की कतार कुछ ज्यादा लम्बी है। झामुमो में दो-तीन तो काफी बड़े नाम हैं, जिन्होंने न सिर्फ संगठन को बखूबी सम्भाला है, बल्कि 2024 के विधानसभा चुनाव में झामुमो की जीत में बड़ा योगदान दिया है। दो नाम तो झामुमो महासचिवों के हैं- सुप्रियो भट्टाचार्य और विनोद पांडेय। इन दोनों का पार्टी में कद भी बड़ा है, और काम भी बड़ा है। एक और नाम है दिनेश षाड़ंगी का. जो कुछ समय भाजपा में रहने के बाद फिर झामुमो में आ गये हैं। दिनेश षाड़ंगी ने पिछले चुनाव में कोल्हान में झामुमो की जीत के लिए काफी काम किया है। तो जाहिर है, ये सभी नेता अपने काम का इनाम जरूर चाहेंगे। लेकिन यहां यह भी ध्यान देना होगा कि ये तीनों नेता आदिवासी चेहरा नहीं है। फिर भी यह बात भी ध्यान देने वाली है कि इसी साल राज्यसभा भेजे गये सरफराज अहमद और महुआ माजी भी आदिवासी चेहरा नहीं हैं।
कांग्रेस से राज्यसभा की कतार में कौन-कौन?
जहां तक कांग्रेस की बात है तो कांग्रेस से राज्यसभा जाने वालों की लिस्ट में पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर का नाम काफी ऊपर चल रहा है। राजेश ठाकुर अभी से ‘ऊपर’ तक अपनी सेटिंग में लगे हुए हैं। झारखंड विधानसभा चुनाव से ठीक पहले चुनावी फायदे के लिए जब पार्टी ने कुरमी-कोईरी प्रदेश अध्यक्ष दिया तब उन्होंने अपने पद के सेक्रिफाइस किया था। कांग्रेस सूची में अगला नाम महिला कांग्रेस प्रदेश सह अध्यक्ष गुंजन सिंह का आता है। कांग्रेस से एक नाम जमशेदपुर पूर्वी से चुनाव हार चुके डॉ अजय कुमार सिंह का भी है।
भाजपा भी चाहेगी अपना राज्यसभा सदस्य
ऐसा भले है कि भाजपा के पास इस बार सीटें कम आयी हैं, लेकिन वह भी चाहेगी कि उसके एक सदस्य राज्यसभा पहुंचे। लेकिन इसका गणित शायद उसके पक्ष में नहीं है। एक तो दीपक खुद यह मौका तलाशेंगे कि वह राज्यसभा पहुंच जायें। इसके अलावा इसी साल राज्यसभा से मुक्त हुए समीर उरांव और सुदर्शन भगत के भी नाम आगे होंगे।
आसान नहीं होगा इंडी गठबंधन के लिए चुनाव!
2026 में राज्यसभा का जो भी चुनावी गणित हो, लेकिन इतना तय है कि इंडी गठबंधन के लिए दो सीटों का यह चुनाव आसान नहीं होने वाला है। क्योंकि झामुमो चाह कर भी अपने पास दोनों सीटें नहीं रख पायेगी। कांग्रेस के साथ उसे सीटों का बंटवारा तो करना ही पड़ेगा। अगर झामुमो ऐसा करता है तो आसानी से गठबंधन दोनों सीटों पर जीत हासिल कर सकता है। लेकिन एक सम्भावना यह भी है कि कांग्रेस दोनों सीटों पर अपनी दावेदारी पेश करे।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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