जर्मनी के तानाशाह हिटलर के सलाहकार गोबुल्स ने कभी कहा था कि ‘झूठ को इतनी बार दोहराओ की वह सच में बदल जाये’। गोबुल्स ऐसा किस प्रसंग में कहा था, मायने नहीं है, लेकिन एक ‘बात’ झारखंड में बार-बार कही जा रही जिसके बारे में यह कहना बेहद मुश्किल है कि वह ‘वाकई सच’ है या ‘गोबुल्स वाला सच’। झारखंड विधानसभा चुनाव में इस बार लड़ाई का बड़ा मुद्दा संताल परगना के जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठ है। भाजपा के नेतृत्व में एनडीए बार-बार, हर मंच पर यही कह रहा है और झामुमो के नेतृत्व में इंडी गठबंधन भी बार-बार किसी भी घुसपैठ से इनकार कर रहा है। अब आप इसे ‘जुबान फिसलना’ कहें या ‘सच्चाई स्वीकार’ करना, लेकिन इंडी गठबंधन की ऐसी बात कह दी गयी जिस पर गठबंधन तो घिर ही गया है, और भाजपा ने इस मामले को लपक भी लिया है।
यह तो तय है चाहे एनडीए हो या इंडी गठबंधन, अपनी-अपनी योजनाओं (प्रलोभनों) का जोर-शोर से प्रचार प्रसार कर रहे हैं। उसे हर मंच पर रख भी रहे हैं। ऐसे ही एक कार्यक्रम को दौरान कांग्रेस के झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने घुसपैठियों को लेकर ऐसा ही बयान देकर एक नया विवाद तो खड़ा कर ही दिया इससे सियासी पारा भी चढ़ गया है। मीर ने कहा कि केंद्र में 10 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद बीजेपी घुसपैठियों की पहचान नहीं कर पाई है। बीजेपी को बताना होगा कि घुसपैठिए कौन हैं। उन्होंने आगे कहा कि यदि इंडिया ब्लॉक सत्ता आता है ना हिंदू देखा जाएगा ना मुसलमान और घुसपैठियों को भी 450 रुपये में सिलेंडर देंगे। बस, हो गया इसके बाद राजनीतिक खेल। अब भाजपा कांग्रेस और इंडी गठबंधन से सवाल कर रही है कि गुलाम अहमद मीर ने घुसपैठियों के इस शब्द का मतलब क्या है।
झारखंड में भाजपा के चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गठबंधन पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस झारखंड में घुसपैठियों को 450 रुपये में गैस सिलेंडर देने की घोषणा कर रही है। ये वो घुसपैठिए हैं जो बांग्लादेश से हमारे देश में आए हैं। हम कह रहे हैं कि राज्य खतरे में है और और ये ‘उनके’ नाम पर वोट मांग रहे हैं।
बांग्लादेश की तिलमिलाहट का क्या है राज?
बांग्लादेशी घुसपैठ के जिक्र को किनारे रखकर बात करें तो हाल के दिनों में केन्द्रीय गृहमंत्री ने साहिबगंज में बांग्लादेश घुसपैठियों को चुनचुन कर बाहर निकालने की बात कही थी। अमित शाह के इस बयान के बाद बांग्लादेश तिलमिला गया था। अमित शाह के बयान पर उसने बांग्लादेश तिलमिला गया था। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारतीय दूतावास को पत्र लिखकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि भारत के जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को ऐसे बयान से बचना चाहिए। बांग्लादेश का बयान देना तो अपनी जगह ठीक है, लेकिन उसकी तिलमिलाटह का ‘राज’ क्या है?
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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