नेशनल सैंपल सर्वे ने बताया देश की 18% आबादी अनपढ़! क्या है झारखंड-बिहार का हाल?

नेशनल सैंपल सर्वे की रिपोर्ट ने भारत की शिक्षा को लेकर चौंकाने वाला आंकड़ा प्रस्तुत किया है। शिक्षा के क्षेत्र में तमाम दावों के बावजूद देश की शिक्षा व्यवस्था को आईना दिखाने का काम यह सर्वे कर रहा है। सर्वे बताता है कि 15 साल से ऊपर के 28% किशोरों-युवाओं को साधारण वाक्य पढ़ना-लिखना और सामान्य जोड़-घटाई भी नहीं आता है। इस सर्वे में झारखंड और पड़ोसी राज्य बिहार की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। नेशनल सैंपल सर्वे (NSS)के व्यापक वार्षिक मॉड्यूलर सर्वे 2022-23 में सामने आया है।  तो आइये देखते हैं देश के किस राज्य में शिक्षा की स्थिति क्या है-

28 राज्यों और 8 केंद्रशासित राज्यों में किया गया सर्वे

नेशनल सैंपल सर्वे ने देश के 28 राज्यों और 8 केंद्रशासित क्षेत्रों के लगभग 3 लाख घरों और करीब 13 लाखों से यह आंकड़ा जुटाया है। सर्वे के अनुसार देश में 15 साल से ऊपर के 28% लोगों को साधारण वाक्य पढ़ना-लिखना और सामान्य जोड़-घटाई भी नहीं आता है। 15-24 उम्र वालों में यह आंकड़ा सिर्फ 3% का है।

  • राजस्थान में 27% और मप्र में 22% लोगों को साधारण जोड़-घटाना नहीं आता।
  • बिहार की स्थिति यूपी से बेहतर है। बि​हार में 24% और यूपी में 25% लोगों की गणित कमजोर है।
  • केरल में ऐसे महज 2% लोग सामान्य गणित की समझ में कमजोर हैं।
  • 6-10 साल वालों में गांवों में 91% और शहरों में 89% बच्चे स्कूलों में हैं।
  • महाराष्ट्र की स्थिति सबसे बेहतर है। महाराष्ट्र में सिर्फ 8 %, हरियाणा में 15.1 %, गुजरात में 15.8 %, पंजाब में 16.5 %, छत्तीसगढ़ में 19.9 %, झारखंड में 21.2 %, मध्य प्रदेश में 22 %, बिहार में 23.6 % और यूपी में 25.4 % लोग जोड़ घटाव भी नहीं कर पाते हैं।
बच्चों के स्कूल नहीं जाने की देश में क्या है स्थिति?
  • भारत में तकरीबन 2% बच्चे ऐसे हैं, जो कभी स्कूल ही नहीं गए।
  • केरल ही एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां का हर बच्चा स्कूल गया है या जा रहा है।
  • ज्यादातर बच्चे इसलिए स्कूल नहीं जाते, क्योंकि वे या तो पढ़ाई से जी चुराते हैं या फिर उनके माता-पिता ही उन्हें पढ़ाना नहीं चाहते। इसमें आर्थिक कारण भी शामिल है।
  • 17% बच्चों के स्कूल न जाने का कारण आर्थिक तंगी है।
  • 24% बच्चे इसलिए स्कूल नहीं जाते क्योंकि वे खुद ही पढ़ना नहीं चाहते।
  • 21% बच्चों का यह हाल है कि उनके माता-पिता नहीं चाहते कि वो पढ़ाई करें।
  • 13% बच्चे अपनी बीमारी या दिव्यांगता के चलते स्कूल से दूर हैं।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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