झारखंड विधानसभा चुनाव : 28 सीटें जो खोलेंगी सत्ता का द्वार, आदिवासियों का दिल जीतना होगी बड़ी चुनौती!

Jharkhand 28 trible seat : झारखंड की कुल 81 विधानसभा सीटों में 28 सीटें एसटी के लिए सुरक्षित हैं. इसलिए यह माना जाता है कि आदिवासी वोटर के पास ही सत्ता की कुंजी है. ऐसे में आदिवासी वोटरों को साधे बगैर झारखंड की सत्ता महागठबंधन हो या एनडीए कोई हासिल नहीं कर सकता है. इसलिए झारखंड की क्षेत्रीय पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा और राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों की इन सीटों पर खास नजर होती है. संतालपरगना में 7, कोल्हान में 9, दक्षिणी छोटानागपुर में 11 और पलामू में एक सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित हैं.

द. छोटानागपुर की सीट भी जीतने में सफल रहा जेएमएम 

संताल परगना जो झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ है और यहां से वह लगातार सीटें जीत रहा है. पिछले दो चुनाव में जेएमएम ने अपना और विस्तार कर कोल्हान और दक्षिणी छोटानागपुर की सीटों पर भी कब्जा ज़माने में भी सफल रहा है.  वहीं कांग्रेस को भी दक्षिणी छोटानागपुर, कोल्हान और पलामू मिलाकर छह सीटें मिलीं थी . 2019 के विधानसभा चुनाव में जेएमएम ने सबसे ज्यादा 19 और कांग्रेस ने 6 आदिवासी बहुल सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि बीजेपी आदिवासी मतदाताओं को लुभा नहीं पाई थी और आदिवासी प्रभाव वाली सिर्फ दो सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई थी. इसलिए इस बार बीजेपी आदिवासी मतदाताओं को लुभाने के लिए योजना तैयार कर रही है. क्योंकि पांच साल में सरकार के द्वारा कई लोकलुभावन योजनाएं लागू करने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी को पिछले चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था. (Jharkhand 28 trible seat)

संथाल में जेएमएम का पलड़ा भारी!

जेएमएम के गढ़ संथाल परगना पर नजर डालें तो यहां 7 एसटी की सीटें हैं जिनमें से सभी सीटें बीजेपी ने खो दी थी. संथाल परगना प्रमंडल के 6 जिलों में विधानसभा सीटों की संख्या 18 है. इनमें सात सीटें एसटी और एक सीट एससी के लिए आरक्षित है. राज्य गठन के बाद 2005 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में  संथाल की 18 सीटों में से सात सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था, जबकि 5 सीटों पर जेएमएम की जीत हुई थी. संथाल में जेएमएम का पलड़ा भारी माना जा रहा है. क्योंकि साहिबगंज की बरहेट, पाकुड़ की लिट्टीपाड़ा और महेशपुर, जबकि दुमका की शिकारीपाड़ा और जामा सीट पर आज तक बीजेपी को कामयाबी नहीं मिल सकी है. यानी यह पांच सीटें संथाल में जेएमएम के लिए अभेद किले की तरह है. संथाल की बोरियो, जामा, जामताड़ा और मधुपुर सीट को जेएमएम ने 2009 के चुनाव में जीत लिया था. वहीं, बीजेपी सिर्फ जेएमएम से नाला सीट ले पाई थी, लेकिन 2014 के चुनाव में बीजेपी जेएमएम की बोरियो, दुमका और मधुपुर सीट पर कब्जा जमाने में सफल रही. कोल्हान की बात करें तो यहां 9 आरक्षित सीटों में बीजेपी सारी सीटें हार गई. बता दें कि कोल्हान प्रमंडल में तीन जिले आते हैं. जिसमें पश्चिम सिंहभूम, सरायकेला- खरसांवा, पूर्वी सिंहभूम शामिल हैं. इसमें 14 विधानसभा सीट हैं जिसमें 9 सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित है।(Jharkhand 28 trible seat)

दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल बीजेपी का माना जाता रहा है गढ़ 

दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल में 5 जिले रांची, खूंटी, गुमला, सिमडेगा और लोहरदगा आते हैं. इस इलाके में 15 विधानसभा क्षेत्र हैं. जिसमें से 12 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. खूंटी की दो, गुमला की तीन, सिमडेगा में दो और लोहरदगा की एक सीट अनुसूचित जनजाति या कहें एसटी श्रेणी के लोगों के लिए आरक्षित हैं.राज्य गठन के बाद झारखंड में क्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल की सबसे ज्यादा सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है. इस प्रमंडल में रांची, खूंटी, गुमला, सिमडेगा और लोहरदगा जिला शामिल हैं. (Jharkhand 28 trible seat)

2000 से 2014 तक बीजेपी एसटी सीट पर जीतती आई है 

एक्सपर्ट की मानें तो पिछले विधानसभा चुनाव में  झारखंड मुक्ति मोर्चा-कांग्रेस-आरजेडी महागठबंधन जल-जंगल-जमीन का मुद्दा उठाकर आदिवासी गढ़ों में घुसने में कामयाब रहा  है.  वर्ष 2000 से 2014 तक की बात करें तो बीजेपी एसटी सीट पर जीतती आई है . वर्ष 2000 का चुनाव जो एकीकृत  बिहार के समय हुआ था. उस समय भाजपा को एसटी के लिए आरक्षित 28 सीटों में से 12 सीटें मिलीं थी.  फिर 2005 के चुनाव में यह संख्या 8 हो गयी.  2009 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 7 एसटी सीटों पर जीत हासिल हुईं. गौरतलब है कि 2014 के चुनाव में बीजेपी को 28 आदिवासी सुरक्षित सीटों में से 11 सीटें मिली थी.  2014 के विधानसभा चुनाव में यह संख्या बढ़कर 11 हो गयी थी. ऐसे में सत्ता तक पहुंचने के लिए जनजातीय सीटों पर जीत हासिल करना इस विधानसभा चुनाव में जेएमएम, बीजेपी और कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती होगी.

न्यूज़ डेस्क / समाचार प्लस, झारखंड- बिहार 

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