Paras Hospital Ranchi: किसी भी नार्मल व्यक्ति के हार्ट में चार चैंबर होते हैं, लेकिन पारस एचईसी अस्पताल में गिरिडीह से आये एक मरीज की जांच करने पर चिकित्सक ने पाया कि उसके हार्ट के लेफ्ट एट्रियम और राइट एट्रियम के बीच में कोई पार्टिशन (अलग करने वाला पर्दा) नहीं था। लेफ्ट एट्रियम और राइट एट्रियम के बीच में पार्टिशन नहीं होने के कारण साफ और गंदा खून एक ही जगह मिक्स हो रहा था। डॉ कुणाल हजारी ने बताया कि इस बीमारी को कॉमन एट्रियम कहते हैं। जिसकी सर्जरी पारस अस्पताल में हुई।
उन्होंने बताया कि मरीज के मेडिकल हिस्ट्री में पाया गया कि मरीज को यह बीमारी जन्मजात थी। बचपन से ही उसे सर्दी-खांसी और बुखार की समस्या थी। कई जगह इलाज कराने के बाद वह थक चुका था। इस दौरान गिरिडीह में इकोकार्डियोग्राफी कराने के बाद पता चला कि मरीज के हार्ट के एट्रियम में कुछ गड़बड़ है। तब मरीज़ को रांची के पारस एचईसी अस्पताल रेफर किया गया।
पारस एचईसी अस्पताल आने के बाद मरीज की डॉ कुणाल हजारी की निगरानी में इकोकार्डियोग्राफी की गई। जिसमें पाया गया कि मरीज के हार्ट के लेफ्ट एट्रियम और राइट एट्रियम के बीच में कोई पार्टिशन नहीं है। वह एक कॉमन एट्रियम का मरीज है। जिसे दवा से पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता था। इसके बाद उन्होंने मरीज की सर्जरी करने की योजना बनाई। सर्जरी में पेरिकार्डियम को काटकर हार्ट में इस्तेमाल किया गया। हार्ट के राइट और लेफ्ट एट्रियम के बीच में काफ़ी सावधानी के साथ पेरिकार्डियम को बीच में पर्दा के तौर पर लगाया गया। जिससे कि दोनों एट्रियम सामान्य रूप से काम कर सकें।
उन्होंने कहा कि इससे राइट एट्रियम अपनी तरफ और लेफ्ट एट्रियम अपनी तरफ काम करेगा। लेफ्ट एट्रियम में 4 पल्मोनरी वेन खुलता है। वहीं राइट एट्रियम में सुपीरियर, इनफीरियर और कोरोनरी साइनस से अशुद्ध खून आता है। इसके अलावा कॉमन एट्रियम में मौजूद दोनों डैमेज वाल्व को भी रिपेयर किया गया। डॉ कुणाल ने बताया कि सर्जरी के तीन घंटे बाद वेंटीलेटर से मरीज़ को हटा दिया गया। इसके अगले ही दिन हार्ट सपोर्ट की दवाइयां कम कर दी गई। मरीज को चेक करने पर पाया गया कि मरीज अब सामान्य महसूस कर रहा है। पांच दिन तक पारस एचईसी अस्पताल में इलाज के बाद मरीज़ को घर भेज दिया गया। मरीज तीन महीने के बाद पूरी तरह से ठीक होगा और सामान्य जीवन जी सकेगा।
डॉ कुणाल ने बताया कि पारस एचईसी अस्पताल में रेगुलर हर एज ग्रुप के कार्डियक सर्जरी की सुविधा उलपब्ध है। उन्होंने बताया कि हार्ट सर्जरी में जन्मजात हार्ट बीमारियों, वाल्व सर्जरी और बाइपास सर्जरी भी की जाती है। हार्ट में मल्टी ब्लाकेज को भी सर्जरी के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि हार्ट अटैक की स्थिति में एंजियोग्राफी कर पता लगाया जाता है कि कौन सी नसें ब्लाक है। इसके बाद हार्ट के उसी पार्ट में सर्जरी की जाती है। नई टेक्निक को बीटिंग हार्ट सर्जरी बोलते है। जिसमें हार्ट बीट को रोका नहीं जाता और मरीज की सर्जरी की जाती है। पारस अस्पताल में ये सारी सुविधाएं है।
पारस एचईसी अस्पताल के फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ नीतेश कुमार ने बताया कि प्रदेश के मरीज़ों को अब किसी भी तरह की असाध्य बीमारियों का इलाज कराने के लिए कहीं बाहर जाने की ज़रूरत नहीं है। पारस एचईसी अस्पताल में जन्मजात बीमारी के साथ-साथ जटिल एवं असाध्य बीमारियों का इलाज उपलब्ध है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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