महालया के साथ मां दुर्गा का धरती पर हुआ आगमन, कल से नवरात्रि प्रारम्भ

पितृपक्ष की समाप्ति के बाद महालया के साथ देवी पक्ष यानी दशहरा की शुरुआत हो गई है। इसके बाद माता दस दिनों पर धरती पर विराजेंगी। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ माता का धरती पर स्वागत किया गया और अब माता की आराधना गुरुवार से आरम्भ हो जायेगी। गुरुवार को कलश स्थापना के साथ नवरात्रि आरम्भ हो जायेगी। भक्त नौ दिनों तक माता की श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना और व्रत करेंगे। इसके बाद मां विजया दशमी के दिन धरती से भक्तों से विदा लेंगी। इस नवरात्रि मां दुर्गा पालकी पर सवार होकर आ रही हैं। मां धरती से चरणायुध (मुर्गे) पर सवार होकर विदा होंगी।

पश्चिम बंगाल में महालया और दुर्गापूजा का विशेष महत्व है। पश्चिम बंगाल में बिरेंद्र कृष्ण भद्र (वीर भद्र) की आवाज में सुबह 5:00 बजे आकाशवाणी पर महालया (दुर्गा सप्तशती श्लोक) सुने जाने की परंपरा रही है। बुधवार को भक्तों ने महालया पाठ का श्रवण किया और माता की भक्ति में डूब गये। मान्यता है कि महालया के दिन मां दुर्गा कैलास से अपने मायके पृथ्वी लोक पर आती हैं। यहां उनके स्वागत के लिए भक्त समुदाय ढाक-ढोल के साथ देवी की आराधना करते हैं।

गुरुवार को होगा माता के नौ रूपों की आराधना

गुरुवार को कलश स्थापना के साथ नवरात्रि का आरम्भ हो रहा है। इन नौ दिनों तक माता के नौ रूपों की आराधना भक्त भक्तिपूर्वक करते हैं। इस समय हर ओर भक्ति और उल्लास का वातावरण नजर आता है। हर आयु वर्ग के लोग माता भगवती की आराधना में लीन नजर आते हैं।

शैलपुत्री

नवरात्रि के प्रथम दिन देवी दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है। मां शैलपुत्री को सफेद वस्तुएं अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए उन्हें सफेद मिष्ठान का भोग लगाया जाता है। यह प्रसाद गाय के शुद्ध घी से बनाया जाता है। सफेद रंग पवित्रता एवं शांति का प्रतीक माना जाता है। जीवन में सर्वाधिक पवित्रता एवं शांति का ही महत्व है। इनके बिना सब व्यर्थ है। देवी की साधना से सुख एवं समृद्धि में वृद्धि होती है।

ब्रह्मचारिणी

नवरात्रि के दूसरे दिन देवी देवी दुर्गा के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर एवं पंचामृत का भोग लगाया जाता है। शक्कर जीवन में मिठास का प्रतीक है। जिस प्रकार भोजन में मिष्ठान का महत्व है, उसी प्रकार जीवन में मधुर वाणी का महत्व है। मृदु भाषी व्यक्ति सबका मन मोह लेते हैं। देवी की साधना से भाग्य में वृद्धि होती है तथा आयु भी लम्बी होती है।

चंद्रघंटा

नवरात्रि के तीसरे दिन देवी दुर्गा के तृतीय स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की जाती है। मां चंद्रघंटा को दुग्ध से बने मिष्ठान एवं खीर का भोग लगाया जाता है। खीर भी दुग्ध से बनाई जाती है। दुग्ध समृद्धि एवं अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक है। देवी की साधना से व्यक्ति बुरी शक्तियों से सुरक्षित रहता है।

कूष्मांडा

नवरात्रि के चौथे दिन देवी दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाती है। मां कुष्मांडा को मालपुये का भोग लगाया जाता है। देवी की साधना से मनुष्य की समस्त इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

स्कंदमाता

नवरात्रि के पांचवें दिन देवी दुर्गा के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है। स्कंदमाता को फल विशेषकर केला अत्यंत प्रिय है, इसलिए उन्हें केले का भोग लगाया जाता है। देवी की साधना से सुख एवं एश्वर्य में वृद्धि होती है।

कात्यायनी

नवरात्रि के छठे दिन देवी दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की जाती है। मां कात्यायनी को मीठे पान एवं मधु का भोग लगाया जाता है। देवी की साधना से दुखों का नाश होता है तथा जीवन में सुख का आगमन होता है।

कालरात्रि

नवरात्रि के सातवें दिन देवी दुर्गा के सातवे स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है। मां कालरात्रि को गुड़ अत्यंत प्रिय है, इसलिए उन्हें गुड़ से बने व्यंजन का भोग लगाया जाता है। देवी की साधना से समस्त नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है तथा सकारात्मकता में वृद्धि होती है। जीवन सुखी हो जाता है।

महागौरी

नवरात्रि के आठवें दिन देवी दुर्गा के आठवे स्वरूप मां महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है। मां महागौरी को नारियल अत्यंत प्रिय है, इसलिए उन्हें नारियल का भोग लगाया जाता है अर्थात नारियल अर्पित किया जाता है। देवी की साधना से व्यक्ति के रुके हुए कार्य पूर्ण होते हैं।

सिद्धिदात्री

नवरात्रि के अंतिम दिन देवी दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन कन्या पूजन का विधान है। कन्याओं की पूजा की जाती है। उन्हें भोजन ग्रहण कराया जाता है। इसके पश्चात उनके चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है। कन्याओं को प्रसाद के साथ उपहार भेंट किए जाते हैं। तदुपरांत देवी को काले चने, हलवा पूड़ी एवं खीर का भोग लगाया जाता है।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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