एक ओर झारखंड सरकार महिला सुरक्षा के लिए कई योजनाएं चला रही है, हेल्पलाइन नंबर जारी कर रही है, लेकिन जब घटना के वक्त पीड़िता को मदद की ज़रूरत होती है तो ये व्यवस्थाएं नाकाम साबित होती हैं. इसका जीता जागता सबूत धनबाद के गोविंदपुर में देखने को मिला जहां पीड़िता अपनी जान बचाने के कई कोशिशें की पर नाकाम रही और इसका जिम्मेवार पुलिस,और सिस्टम रहा. पढ़िए क्या है पूरा मामला.
गोविंदपुर में एक आदिवासी युवती की नृशंस हत्या से सनसनी फैल गई है। युवती का शव उसके ही घर से मिला, आशंका है कि दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या की गई है। घटना के वक़्त युवती घर में अकेली थी, उसके माता-पिता काम पर और भाई फुटबॉल खेलने गए हुए थे। यह घटना गोविंदपुर के बोरियों पंचायत की है. इस वारदात के बाद पुलिस ने चार संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।
मौके पर पहुंची महिला कार्यकर्ता लक्ष्मी मुर्मू ने बताया कि युवती ने मदद के लिए कई कोशिश की थीं। उसके मोबाइल से पता चलता है कि उसने कई लोगों को कॉल किए लेकिन रात होने की वजह से किसी से बात नहीं हो सकी। सबसे बड़ी बात यह कि उसने महिलाओं की सुरक्षा के लिए जारी हेल्पलाइन नंबर 112 पर भी कॉल किया, लेकिन वहाँ से भी उसे कोई मदद नहीं मिली। कार्यकर्ता ने कहा कि युवती ने नरपिचासों से लड़ते-लड़ते अपनी जान गवां दी।इसकी घटना में संलिप्त अपराधियों को जल्द से जल्द गिरफ्तारी के लिए लोगो ने सड़कों पर प्रदर्शन किया वही पुलिस पूरे मामले की तहकीकात में जुट गई है और संदिग्धों से पूछताछ शुरू कर दी है.
धनबाद से कुंदन सिंह की रिपोर्ट