केन्द्र सरकार ने स्वीकार किया है कि संताल परगना के जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठ हो रही है और उसके कारण वहां डेमोग्राफी में परिवर्तन हो रहा है। संताल परगना में बदल रही डेमोग्राफी मामले में दानियल दानिश की ओर से दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। हाई कोर्ट ने आज झारखंड सरकार और केन्द्र सरकार को घुसपैठ से सम्बंधि हलफनामा दायर करने को कहा था। आज चूंकि सॉलिसिटर ऑफ जनरल तुषार मेहता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से नहीं जुड़ सके, इसलिए कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीफ 17 सितम्बर तय कर दी है।
बता दें कि आज झारखंड हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की अदालत में मामले की सुनवाई हो रही थी लेकिन सुबह 9.30 बजे तकनीकी खराबी की वजह से हाईकोर्ट की बिजली गुल हो गई थी। इसका असर हाईकोर्ट के शुरुआती कामकाज पर पड़ा।
फिर भी इस मामले में केंद्र सरकार और यूआईडीएआई की ओर से शपथ पत्र दायर कर दिया गया है।
केन्द्र सरकार की ओर से जो डाटा हाई कोर्ट में प्रस्तुत किया गया है उसमें यह कहा गया है कि पिछले दशक में झारखंड में आदिवासियों की संख्या घटी है। यहां आदिवासियों की संख्या कभी 44% थी, जो कि अब घटकर 28% प्रतिशत हो गयी है।आदिवासियों की घटती संख्या का कारण भी हलफनामे में बताया गया है। हलफनामे के अनुसार घुसपैठ के कारण हुए धर्मांतरण के साथ पलायन इसकी बड़ी वजह है। हलफनामे में केन्द्र ने यह आरोप भी लगाया कि घुसपैठियों को राज्य में संरक्षण दिया जा रहा है। राज्य संरक्षण को भी केन्द्र द्वारा स्पष्ट किया गया है। बड़ी संख्या में गिफ्ट डीड के तहत जमीनों का हस्तांतरण हुआ है, जो यह दर्शाता है कि बिना सरकारी सहमति के ऐसा और इतनी बड़ी मात्रा में नहीं हो सकता। केन्द्र के द्वारा एक महत्वपूर्ण बात कही गयी कि आधार कभी भी नागरिकता का आधार नहीं हो सकता। यह महज यूनिक आइडेंटिफिकेशन के रूप में चिह्नित करने जैसा है। केन्द्र ने यह भी कहा कि उसके पास घुसपैठियों को वापस भेजने का अधिकार है और इसके लिए झारखंड में NRC लागू करने की आवश्यकता है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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