1989 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी आलोक राज को बिहार का नया पुलिस महानिदेशक बनाया गया है। वह 31 दिसंबर 2025, यानी बिहार विधानसभा चुनाव कराने के बाद तक डीजीपी रहेंगे। पिछली बार वरिष्ठता के बावजूद उनका नाम दरकिनार किया गया। राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की चल रही थी। सो, 1989 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी आलोक राज के बिहार में रहते हुए केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से बुलाकर आरएस भट्टी को बिहार का पुलिस महानिदेशक बना दिया गया था। यह दिसंबर 2022 की घटना थी। अगस्त 2024 में, इस समय बिहार में राष्ट्रीय जनता दल विपक्ष में है। आरएस भट्टी ने डीजीपी का कार्यकाल रहते हुए खुद ही बिहार से अनुमति मांग ली। मिल भी गई। केंद्र सरकार ने उन्हें सीआईएसएफ का महानिदेशक बना दिया। इस बार फिर पुलिस मुख्यालय में वरीयता तो दरकिनार कर आलोक राज का नाम गायब करते हुए तेजी से दूसरे नाम को आगे बढ़ाया गया था। इस नाम को आगे बढ़ाने में पुलिस के साथ मीडिया के भी खास जाति के लोगों का योगदान थी। नतीजा, अब सामने है। सरकार ने उन्हें डीजीपी का प्रभार दे दिया है।
वरीयता सूची और रिटायरमेंट के बीच जाति का गणित!
बिहार में पदस्थापित बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारियों की सूची में सबसे सीनियर डीजी आलोक राज का नाम है। आलोक राज 31 दिसंबर 2025 को रिटायर करेंगे। सूची में उसके बाद भट्टी का नाम है, जो पिछली बार वरीयता सूची को दरकिनार कर लाए गए थे। इसके बाद 30 जून 2026 को रिटायर कर रहीं 1990 बैच की आईपीएस शोभा ओहटकर का नाम है। इसके बाद 30 सितंबर 2025 को रिटायर कर रहे 1991 बैच के विनय कुमार का नाम है। चुनाव के नजरिए से सबसे आसान चयन आलोक राज थे, फिर भी पुलिस मुख्यालय से ही गोलबंदी कर हवा उड़ाई गई कि वह डीजीपी की कांटों भरी टोपी नहीं पहनना चाहते हैं। हालांकि, ‘अमर उजाला’ से दिसंबर 2022 और अब अगस्त 2024 में भी उन्होंने इस सवाल पर इतना ही कहा कि “यह सरकार का निर्णय होता है। सरकार अपने नजरिए से फैसला लेगी।” आलोक राज का नाम चर्चा से हटाए बगैर 1991 बैच के आईपीएस विनय कुमार का नाम ऊपर नहीं लाया जा सकता था। यही हो रहा था। विनय कुमार का नाम सबसे आगे बताया जा रहा था तो साथ-साथ शोभा ओहटकर को लेकर भी सीएम के महिला सशक्तीकरण की बात कही जा रही थी। लेकिन, अब मामला साफ हो गया है।
विधानसभा चुनाव तक के लिए डीजीपी मिलेंगे
बिहार में विधानसभा चुनाव समय पर होता है तो नवंबर 2025 तक के लिए मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक स्थायी रूप से होना चाहिए। मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक, दोनों के चयन में राज्य सरकार इस बात का ध्यान रखने को मजबूर हुई है कि उसे चुनाव के समय नाम तय करने में दिक्कत न आए या आचार संहिता लागू होने जैसी स्थिति में उसका यह बहुत खास अधिकार छिन न जाए। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन दोनों पदों पर फैसला ले लिया है। बात इसी पर अंतिम हुई कि चुनाव के समय रिटायर होने वाले पर दांव लगाना सही नहीं होगा। इसी को देखते हुए एक तरफ आरएस भट्टी की विदाई में परेड हो रहा था और दूसरी तरफ नए डीजीपी के नाम की घोषणा के पहले उनकी सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात।