Kolkata Doctor Case: ममता सरकार पर आरोपियों को बचाने के क्यों लग रहे आरोप, हड़ताली डॉक्टर अब भी अड़े
पश्चिम बंगाल में कई मामलों में राज्य की ममता सरकार का ढुलमुल रवैया देखा गया है। ममता बनर्जी की सरकार पर पक्षपात के आरोप पहले भी कई बार लगे हैं। कोलकाता में जब महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ बर्बरता का मामला सामने आया है तब भी उनकी सरकार की निष्पक्षता पर उंगली उठी है। उंगली लोग ही नहीं उठा रहा, कलकत्ता हाई कोर्ट ने भी सीधे-सीधे पूछ डाला है कि अस्पताल के प्रिंसिपल को ममता सरकार क्यों बचाना चाहती है। हाई कोर्ट को जब यह लगा कि पश्चिम बंगाल की पुलिस का जांच सही दिशा में नहीं जा रही है तो उसने तत्काल मामले को सीबीआई को सौंपने का निर्देश दे दिया। लेकिन, आंदोलनकारी डॉक्टरों ने घोषणा की है कि उनकी अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगी, जबतक कि उनकी अन्य मांगों का समाधान नहीं निकल जाता।
सवाल यह है कि ममता बनर्जी सरकार पर सवाल क्यों उठे कि वह इस केस की निष्पक्ष जांच नहीं करवाना चाहती? ऐसा इसलिए क्योंकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीबीआई जांच की मंजूरी देने से यह कहकर मना कर दिया था कि वह पुलिस को तफ्तीश के लिए रविवार तक का वक्त देना चाहती हैं। लेकिन हाई कोर्ट ने सुबूतों को मिटाये जाने की आशंका को देखते हुए इस संवेदनशील घटना में दखल देते हुए जांच को सीबीआई को सौंप दिया है।
जैसा कि कोलकाता हाई कोर्ट भी सवाल उठा चुका है, इस प्रकरण में अस्पताल के तत्कालीन प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष की भूमिका संदेहास्पद है। डॉ. संदीप घोष के रवैए पर भी सवाल उठाते हुए अदालत ने यह भी कहा कि उन्हें इस्तीफे के चंद घंटे बाद ही दूसरे मेडिकल कॉलेज में वही भूमिका दे दी गई, इसलिए उन्हें तत्काल पद से हटाकर छुट्टी पर भेज दिया जाये।
इन प्रकरणों से यह तो साबित हो ही जाता है कि दाल में जरूर कुछ काला है। हो सकता है कि बंगाल पुलिस की जांच में बहुत सी बातें जनता के सामने आ ही नहीं पातीं। लेकिन सीबीआई जांच के बाद शायद यह सामने आ जाये कि इस प्रकरण में वे कौन-कौन से लोग हैं जो इस पूरे प्रकरण पर लीपापोती करना चाहते हैं और उनका मकसद क्या है। अस्पताल प्रबंधन पर अगर सवाल उठ रहा है तो इसकी वजह साफ है कि एक अस्पताल जो कि 24 घंटे लाइव रहता है। यानी वहां चौबीसों घंटे चहल-पहल रहती है। सुरक्षा के प्रबंध के साथ इतने बड़े अस्पताल में चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी लगे होंगे। तो इतनी सुरक्षा के बीच में इतना बड़ा और वीभत्स कांड हो जाये तो पूरे अस्पताल प्रशासन को उसी समय इस्तीफा देकर खुद को नक्कारा घोषित कर देना चाहिए। और ऐसे नक्कारों को बचाने का कुचक्र रचा जाये यह तो और भी डूब मरने वाली बात है। यहां शायद ममता बनर्जी इस बात से चिंतित रही होंगी कि अगर केस को सीबीआई को सौंप दिया गया तो इस केस से सीधे-सीधे केन्द्र जुड़ जायेगा। और ममता बनर्जी अपने राज्य में केन्द्र का हस्तक्षेप पसंद नहीं करती हैं।
मांगें पूरी होने होंगी तभी टूटेगी हड़ताल
उधर हड़ताली डॉक्टरों ने साफ कह दिया है कि जब तक उनकी सभी मांगे पूरी नहीं हो जातीं उनकी हड़ताल खत्म नहीं होगी। फेडरेशन ऑफ रेसिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन FORDA की ओर से एक्स पर कहा गया है, ‘जबतक सेंट्रल हेल्थकेयर प्रोटेक्शन एक्ट का भरोसा नहीं मिलता, हड़ताल खत्म नहीं होगी। हमारी मांगें अभी भी अधूरी हैं। जबतक हमारी मांगों को पूर्ण रूप से स्वीकार नहीं किया जाता, हम हड़ताल जारी रखेंगे।’
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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