झारखंड हाई कोर्ट के बार-बार राजधानी रांची की ट्रैफिक व्यवस्था पर उंगली उठाने और सख्त नाराजगी व्यक्त किये जाने के बाद रांची एसएसपी ने एक नयी पहल की है। एसएसपी ने ट्रैफिक पुलिस को 10 मोटरसाइकिल प्रदान की है, साथ ही 18 पुलिस जवान और होमगार्ड प्रतिनियुक्त किये हैं। ये जवान इन मोटरसाइकिल पर रांची की ट्रैफिक व्यवस्था पर नजर रखेंगे।
रांची पुलिस रांची में ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर बनाने और ट्रैफिक नियमों का कड़ाई से पालन करवाने के लिए कृत संकल्पित हो गयी है। इसी के मद्देनजर स्पेशल क्विक रिस्पांस (एसक्यूआरटी) टीम तैयार की गयी है। जो बाइक पर सवार होकर दिनभर घूमकर रांची की ट्रैफिक दुरुस्त करने का काम करेगी। हाई कोर्ट की बार-बार फटकार के बाद रांची पुलिस के वरीय अधिकारी भी चाहते हैं कि राजधानी रांची की ट्रैफिक व्यवस्था को पटरी पर लायी जाये। रांची डीआईजी अनूप बीरथरे और एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा की पहल पर ट्रैफिक को कंट्रोल करने लिए स्पेशल क्विक रिस्पांस टीम को ऑन किया गया है।
आखिर क्यों नहीं सुधर रही रांची की ट्रैफिक व्यवस्था?
रांची ही नहीं, पूरे झारखंड की ट्रैफिक व्यवस्था सुधरनी चाहिए, यह हर कोई चाहता है। लेकिन ट्रैफिक व्यवस्था के अस्त-व्यस्त होने के कारणों को भी समझना होगा। सिर्फ नियम बनाकर रांची की ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारा नहीं जा सकता है। रांची की समस्या वाहन चलाने वालों की मानसिकता हो सकती है, लेकिन यहां कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह पूरा शहर ही बिना प्लान के बसा है। यहां पर समानांतर सड़कों का घोर अभाव है। जिसे विशेष अवसरों के लिए तैयार किये गये ट्रैफिर रूटों से भी समझा जा सकता है। एक रास्ता किसी कारण से बंद हो जाये या बंद कर दिया जाये तो 1 किलोमीटर के गंतव्य तक जाने के लिए कई किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ जाता है। सड़कों के इतने कम विकल्प रहने के बाद रांची की कई सड़कों को डिवाइडरों से लगभग बंद सा कर दिया गया है। रांची की इकलौता राज पथ (हरमू बाईपास) वीआईपी मूव के समय तो पूरी तरह से चरमरा जाता है। ऊपर से रांची में बन रहे फ्लाई ओवर भी फिलहाल कोढ़ में खाज का काम कर रहे हैं। आज की भागमभाग भरी लाइफ में हर किसी को हड़बड़ी रहती है। लोग सिर्फ मानसिकता वश ही नियमों का उल्लंघन नहीं करते, उनकी विवशता भी उन्हें ऐसा करने के लिए विवश करती है। लेकिन इसे शायद नहीं समझा जा सकेगा। ऐसा कहने का तात्पर्य यह नहीं कि नियमों का पालन नहीं करवाना चाहिए। नियमों का पालन तो होना ही चाहिए। लेकिन नियमों का पालन करवाने से पहले लोगों की परेशानियों को भी देखा जाना जरूरी है। पुलिस सिर्फ नियमों का पालन करवाने के साथ व्यवस्था कायम करने के लिए भी है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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