लोहरदगा के कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने झारखंड की वर्षों की चिर प्रतीक्षित सरना कोड की मांग सदन में उठायी। मॉनसून सत्र के पहले ही दिन सुखदेव भगत ने यह मांग सदन में उठायी। सुखदेव भगत आज सदन में सरना कोड के नारे लिखीं तख्तियों के साथ सदन में पहुंचे और झारखंड की मांग से सदन को अवगत कराया। सदन की कार्रवाई खत्म होने के बाद सुखदेव भगत ने सदन परिसर में भी तख्तियां लहराते हुए लोगों को बताया कि सरना कोड झारखंड के लिए क्यों जरूरी है।
लोहरदगा सांसद ने इस सम्बंध में X पर एक पोस्ट भी किया। जिस पर उन्होंने लिखा-
आज संसद में!! बजट सत्र के पहले दिन आदिवासियों की प्राकृतिक आस्था, पूजा पद्धति, विशिष्ट रीति रिवाज के संरक्षण और संस्कृति की रक्षा हेतु “केंद्र सरकार” से अविलंब “जनगणना कॉलम में सरना धर्म कोड” लागू करने की मांग की।
सुखदेव की मांग का सोशल मीडिया पर भी खूब समर्थन मिल रहा है। सोशल मीडिया पर लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लिखा कि झारखंड और ओडिशा में हमारे राष्ट्रपति सहित एक बड़ी आदिवासी आबादी सरना धर्म का पालन करती है। उचित मान्यता सुनिश्चित करने और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए जनगणना में सरना धर्म कोड शामिल करना आवश्यक है।
सुखदेव भगत पहले भी उठाते रहे हैं सरना कोड मांग
ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब सुखदेव भगतने सरना धर्म कोड की मांग उठायी है। सुखदेव भगत लगातार यह मुद्दा उठाते रहे हैं। संसद में शपथ ग्रहण करने के बाद भी सुखदेव भगत ने सरना धर्म कोड की मांग उठाई थी। सुखदेव भगत सोमवार को जब संसद पहुंचे, उन्होने सरना धर्म कोड लागू करने के पोस्टर को हाथ में लेकर प्रदर्शित किया। उन्होंने सदन में कहा कि आदिवासी प्रकृति के पुजारी है। इनकी आस्था परम्परा और संस्कृति की रक्षा के लिए “सरना धर्म” जनगणना में शामिल करो। जंगल में बाघ/शेर की गणना हो सकती है तो आदिवासियो की धार्मिक पहचान क्यो नही? बता दें कि झारखंड में लगभग 70 लाख सरना धर्म के मानने वाले लोग हैं।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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