लोकसभा चुनाव प्रचार से लेकर अब भी संविधान को लेकर मोदी सरकार को घेरने वाले विपक्ष को बुधवार को फिर से लोकसभा अध्यक्ष बने ओम बिड़ला ने न सिर्फ आईना दिखाया, बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के काल में देश पर थोपी गयी इमरजेंसी को लेकर देश पर हुए अत्याचार का हवाला देते हुए सदन में दो मिनट का मौन रखवा दिया। सत्ता पक्ष के इस अप्रत्याशित हमले से विपक्ष हक्का-बक्का रह गया। विपक्ष ने सदन में शोर करके अपना विरोध जरूर जताया, लेकिन सत्ता पक्ष के सांसदों ने दो मिनट का मौन रखकर अपनी भावना व्यक्त ली। सत्ता पक्ष के द्वारा लोकसभा में ऐसा करना विपक्ष द्वारा किये जा रहे लगातार प्रहार पर एक तरह से मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है।
इमरजेंसी को काला दिवस बताकर लोकसभाध्यक्ष ने किया कड़ा प्रहार
ओम बिड़ला ने बुधवार को लोकसभा स्पीकर का दूसरी बार पद संभाला है। सदन की कार्रवाई के दौरा ओम बिरला ने 1975 में देश में लागू किये आपातकाल की निंदा करते हुए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। इतना ही नहीं, इमरजेंसी के दौरान हुए कथित अत्याचार को लेकर सदन में 2 मिनट का मौन भी रखवा दिया। ओम बिरला ने कहा कि सदन 1975 में इमरजेंसी लगाने के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के फैसले की कड़ी निंदा करता है। 25 जून 1975 का दिन भारत के इतिहास में हमेशा एक काला अध्याय रहेगा। बिरला ने उन आपातकाल का विरोध करने वालों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहना कि उन्होंने देश के लोकतंत्र और संविधान की रक्षा की अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह किया।
ओम बिड़ला ने साथ ही कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाकर बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा बनाये गये संविधान पर हमला किया था। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने देश पर तानाशाही थोपी, देश के लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला और आम आदमी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटा गया। जब हम इमरजेंसी के 50वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, ये सभा बाबा साहब के बनाए हुए संविधान की रक्षा की भावना को दोहराती है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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