सावधान! कहीं आप भी ना हो जाएं ‘डिजिटल अरेस्ट’ फ्रॉड के शिकार? रांची के प्रोफेसर से ठग लिए 1.78 करोड़

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Digital Arrest: देशभर में कई पीड़ितों ने साइबर अपराधियों के जाल में फंसकर बड़ी मात्रा में धन गंवाया है. Digital Arrest एक संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध है, जहां साइबर अपराधी खुद को पुलिस, CBI या कोई अन्य जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर धमकी देते हैं और लोगों को ब्लैकमेल करते है.  ऐसी ही एक घटना झारखंड की राजधानी रांची में भी हुई है जिसमें डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) कर साइबर अपराधियों ने एक प्रोफेसर से बड़ी ठगी को अंजाम दिया है. साइबर अपराधियो ने प्रोफेसर से 1 करोड़ 78 लाख रूपये ठग लिए. मामले को लेकर प्रोफेसर ने सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच में एफआईआर दर्ज कराई है. यह झारखंड में डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) के जरिए अब तक की सबसे बड़ी ठगी है.

क्या होता है “डिजिटल अरेस्ट”

गृह मंत्रालय के मुताबिक धोखेबाज आमतौर पर लोगों को कॉल करते हैं और कहते हैं कि उन्होने ने कोई पार्सल भेजा है या प्राप्त किया है, जिसमें अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या कोई अन्य प्रतिबंधित वस्तु है. कभी-कभी, वे यह भी सूचित करते हैं कि पीड़ित का कोई करीबी या प्रिय व्यक्ति किसी अपराध या दुर्घटना में शामिल पाया गया है और उनकी हिरासत में है.  ऐसे कथित केस में समझौता करने के लिए पैसे की मांग की जाती है. कुछ मामलों में, पीड़ितों को डिजिटल अरेस्ट का सामना करना पड़ता है. मांग पूरी न होने तक पीड़ित को स्काइप या अन्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म पर धोखेबाजों के लिए उपलब्ध रहने पर मजबूर किया जाता है. डिजिटल अरेस्ट(Digital Arrest) जैसे वारदात सीमा पार आपराधिक सिंडिकेट द्वारा संचालित किया जाता है. ये जालसाज पुलिस स्टेशनों और सरकारी कार्यालयों की तर्ज पर बनाए गए स्टूडियो का उपयोग करने में माहिर होते हैं और असली दिखने के लिए वर्दी पहनते हैं.ऐसी कॉल आने पर नागरिकों को तत्काल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर सहायता के लिए रिपोर्ट करना चाहिए.

न्यूज़ डेस्क/ समाचार प्लस, झारखंड- बिहार

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