हम वर्षों से सुनते आये हैं कि देश की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है। लेकिन इस बार यह गलत साबित हो गया है। नजारा तो यह है कि उत्तर प्रदेश ने इस बार जिनकी झोली भरी, वे प्रयास करके भी सत्ता तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इस बार देश की सत्ता का द्वारा यूपी ने नहीं, बिहार ने खोला है। बीजेपी को अपने दम पर बहुमत नहीं मिला, इस कारण सहयोगियों की मदद की उसे जरूरत पड़ी है। सहयोगियों के सहयोग से एनडीए सरकार बनाने जा रही है। बिहार में सहयोगियों ने 18 सीटें एनडीए के खाते में डाली हैं। बिहार में एनडीए को कुल मिलाकर 30 सीटें मिली हैं और ये 30 सीटें उत्तर प्रदेश में एनडीए को मिली 36 सीटों से ज्यादा कीमती साबिह हो रही हैं। आज एनडीए को बिहार से जो ये सीटें मिली हैं, उसका ही नतीजा है कि मोदी 3.0 सरकार बनने जा रही है।
जब से लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम आये हैं तब से एनडीए और इंडी गठबंधन में जोड़ तोड़ और एकजुट रखने का प्रयास शुरू हो गया था। इंडी गठबंधन जहां एनडीए के जदयू और टीडीपी को तोड़ने के प्रयास में जुट गया वहीं, एनडीए का प्रयास अपने सभी सहयोगियों को एकजुट रखने का शुरू हुआ। एनडीए फिलहाल अपने प्रयास में सफल है और सरकार बनाने में सफल भी होने जा रही है। खबरों के अनुसार उम्मीद है, नरेन्द्र मोदी रविवार 9 जून को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे।
एनडीए को बिहार से और बिहार को सरकार से उम्मीदें
पीएम मोदी की ताजपोशी की कवायद के साथ बिहार के एनडीए फोल्डर की उम्मीदें भी मोदी सरकार से बढ़ने लगी हैं। सिर्फ जदयू ही नहीं, बिहार भाजपा के नेता भी अब सरकार में एंट्री मरने के लिए प्रयास शुरू कर चुके हैं। फिर भी खबर है कि मोदी सरकार 2.0 में बिहार बीजेपी कोटे से मंत्रियों की संख्या मोदी सरकार 3.0 में घट सकती है। इसका फायदा जदयू और चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी को मिलेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि नीतीश कुमार के कारण अगर एनडीए की सरकार बनने की स्थिति में है तो एनजेपी ने बिहार में अपनी सभी पांच सीटें जीतकर एनडीए को बड़ी राहत दी है।
बिहार में बीजेपी और जेडीयू को 12-12 सीटें मिली हैं। चिराग पासवान ने सभी 5 सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि जीतन राम मांझी भी चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं। एनडीए में इस बात पर मंथन जरूर चल रहा होगा कि बिहार में मंत्रियों की संख्या क्या फॉर्मूला निकाला जाये। क्योंकि अगर पांच साल सरकार चलानी है तो नीतीश कुमार, चिराग पासवान और जीतन राम मांझी को खुश करना ही होगा। माना जा रहा है कि चिराग पासवान और जीतन राम मांझी का मंत्री बनना तय है, जबकि जेडीयू की ओर से ललन सिंह और संजय झा भी मंत्री पद के बड़े दावेदार बन कर उठरे हैं। दो और नाम हैं रामनाथ ठाकुर और कौशलेंद्र कुमार कैबिनेट मंत्रियों में इनकी भी एंट्री हो सकती है।
भाजपा के कुछ पूर्व मंत्रियों को होना पड़ सकता है निराश?
बिहार के जदयू, एलजेपी के सांसदों को तरजीह दिये जाने के कारण भाजपा को बिहार के अपने कुछ मंत्रियों की कुर्बानी देनी पड़ेगी। यह स्वाभाविक भी है। इनमें बेगूसराय के गिरिराज सिंह का भी नाम शामिल हो सकता है। सूत्रों के अनुसार, उनकी जगह नवनिर्वाचित नवादा सांसद विवेक ठाकुर कैबिनेट मंत्री बनाये जा सकते हैं। इनके अलावा बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता राधा मोहन सिंह, राजीव प्रताप रूडी और रविशंकर प्रसाद को भी कैबिनेट से दूर रहकर संतोष करना पड़ सकता है। भाजपा के कुछ सांसद है जिन्हें कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पश्चिमी चंपारण सीट से चार बार जीत चुके संजय जायसवाल भी मंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं। वहीं, नित्यानंद राय पर अमित शाह की विशेष मेहरबानी है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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