बिहार में बच्चों को तो मिल गई छुट्टी, लेकिन टीचर्स को कब ? भीषण गर्मी से तड़प रहे शिक्षक – VIDEO

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बिहार में सबसे बेहतर नौकरी सरकारी शिक्षक की मानी जाती रही है, पर अपर मुख्य सचिव केके पाठक के हाथों शिक्षा विभाग की कमान आने के बाद से शिक्षक की नौकरी को एक अलग नजरिए से देखा जाने लगा है। विभाग के नए-नए फरमान से हर शिक्षक परेशान और हलकान हैं। सभी को शिक्षक की नौकरी अब कठिन लगने लगा है। पाठक जी के ‘राज’ में उन्हें न नौकरी करते बन रही है और न छोड़ते। अब बात करते है इन दिनों पड़ रही भीषण गर्मी की। सीएम नीतीश कुमार के आदेश पर स्कूलों को आठ जून तक बंद करा दिया है। यानी बच्चों को राहत मिल गई और शिक्षकों को नहीं।

शिक्षक को भी लग सकती है लू

इधर, विभिन्न जिलों के शिक्षक और शिक्षक संघ के नेताओं द्वारा बच्चों की तरह शिक्षक को गर्मी से राहत दिलाने की मांग की जाने लगी है। सीतामढ़ी के कुछ शिक्षकों ने दबी जुबान से कहा कि बच्चों की तरह शिक्षक का शरीर भी हाड़-मांस का ही बना हुआ है, न कि लोहे और इस्पात से। ऐसे में शिक्षक को भी गर्मी लगती है और लू लग सकती है। सीएम नीतीश कुमार को शिक्षक की तकलीफ को भी समझना चाहिए और गर्मी की छुट्टी देनी चाहिए। दोहरे मापदंड से सरकार को बाज आना चाहिए।

बच्चों को राहत, शिक्षक को नहीं

गर्मी को देखते हुए मुख्य सचिव ने सरकारी स्कूलों के बच्चों को आठ जून तक स्कूल जाने से मुक्ति दिला दी है, लेकिन यह मुक्ति शिक्षक को नहीं मिली है। यानी स्कूल खुले रहेंगे और शिक्षक जाएंगे। इस संबंध में कई जिलों जैसे वैशाली और बेतिया के डीईओ द्वारा पत्र भी जारी कर दिया गया है। इस बीच, टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक राजू सिंह ने सरकार से पूछा है कि क्या शिक्षक इंसान नहीं हैं? शिक्षकों के लिए स्कूल खुला हुआ है। सैंकड़ों बच्चों के बेहोश होने के बाद सीएम नीतीश कुमार द्वारा संज्ञान लेकर सरकारी स्कूलों में शिक्षण कार्य स्थगित करने का आदेश दिया गया है। सीएम को शिक्षकों की पीड़ा को भी समझनी चाहिए।

शिक्षकों को भी राहत मिले

राजू सिंह ने कहा कि शिक्षकों को प्रताड़ित करने का दौर चल रहा है। सीएम नीतीश से शिक्षक की समस्या और पीड़ा का भी संज्ञान लेना चाहिए। उनसे शिक्षकों को काफी उम्मीदें है। कहा है कि सुबह छह बजे तक महिला शिक्षकों को स्कूल पहुंचना काफी मुश्किल भरा काम है। चिलचिलाती धूप में दोपहर डेढ़ बजे स्कूल से घर पहुंचने में परेशानी होती है। इधर, बिहार प्रारंभिक युवा शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक दीपांकर गौरव ने कहा कि जिस तरह बच्चों को छुट्टी दी गई है, उसी तरह शिक्षकों को भी छुट्टी दी जाए। उन्होंने सीएम नीतीश कुमार और शिक्षा विभाग के एसीएस से आग्रह पूर्वक कहा है कि ग्रीष्मावकाश में शिक्षकों ने लगातार काम किया है और परिश्रम कर शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने का काम किया है। इस लिहाज से शिक्षकों को भी भीषण गर्मी से राहत देने की जरूरत है।

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