एक ग्लास ब्रिज का निर्माण नेतरहाट के मैगनोलिया प्वाइंट तथा दूसरा नेतरहाट के ही कोयल व्यू प्वाइंट में होगा। इस तरह, कुल चार ग्लास ब्रिज का निर्माण दो पैकेजों में होगा।
इसके निर्माण से वनों एवं वन्य जीवों को कोई नुकसान न हो, इसे सुनिश्चित किया जाएगा। इसे लेकर भी अध्ययन कंसलटेंट को करना है।
इसके द्वारा तैयार होनेवाली डीपीआर की स्वीकृति मिलने के बाद इसके निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इन ग्लास ब्रिज का डायमेंसन तय कर दिया गया है।
यह होगा ग्लास ब्रिज का डायमेंसन
- तीन मीटर चौड़ा होगा ग्लास ब्रिज
- 45 मीटर लंबा बनेगा चारों ब्रिज
- 1.2 मीटर ऊंची होगी चारों ब्रिज की रेलिंग
आधार वर्ष 2000 निर्धारित कर आंदोलनकारियों को करें सूचीबद्ध : हिमांशु
पृथक झारखंड आंदोलन के क्रम में अपनी भूमिका निभाने वाले आंदोलनकारियों को चिन्हित करने के लिए आधार वर्ष 2000 निर्धारित किया जाना चाहिए।झारखंड आंदोलन के दौरान सक्रिय रहे हिमांशु कुमार ने इस आशय का आग्रह राज्य सरकार से किया है। उन्होंने कहा कि झारखंड आंदोलनकारी वे महान विभूतियां हैं, जिन्होंने अपने संघर्ष और बलिदान से झारखंड राज्य के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया।
उनके त्याग और बलिदान को उचित सम्मान एवं संरक्षण प्रदान करना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है। इस संदर्भ में उन्होंने उत्तराखंड सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों का हवाला भी दिया है।
हिमांशु कुमार ने कहा कि आंदोलन में भाग लेने वाले सभी आंदोलनकारियों का एक सुव्यवस्थित तरीके से चिन्हितिकरण की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए।
जिन आंदोलनकारियों ने सात दिन या अधिक जेल यात्रा की हो अथवा आंदोलन के दौरान घायल हुए हों, उन्हें अथवा उनके आश्रितों को तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के पदों पर शैक्षणिक योग्यता के अनुसार सीधी नियुक्ति दी जाए।
अधिकतम 50 वर्ष आयु वाले चिन्हित झारखंड आंदोलनकारियों को सरकारी सेवाओं में आरक्षण दिया जाए। जो सरकारी सेवा के लिए पात्र नहीं हैं, उन्हें अन्य योजनाओं का लाभ दिया जाए।
आंदोलनकारियों को बैंकों से ऋण उपलब्ध कराने की विशेष सुविधा प्रदान की जाए। निजी संस्थानों की नियुक्तियों में भी झारखंड आंदोलनकारियों या उनके आश्रितों को 10 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया जाए।
इनके विरुद्ध कानूनी मुकदमे दर्ज किए गए थे, उन्हें अनुग्रह राशि प्रदान करने का निर्णय लिया जाए। 2004 तक मुकदमों का सामना करने वाले आंदोलनकारियों को एक लाख, अन्य मामलों में 75,000 एवं 50,000 रुपये दिए जाएं। आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों को अविलंब वापस लिया जाए।
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