Jharkhand: अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव का 166वां शहादत दिवस

166th martyrdom day of immortal martyr Thakur Vishwanath Shahdev

16 अप्रैल भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन 1857 के महान सेना नायक बड़कागढ़ के राजा अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव का 166वां शहादत दिवस है। इस अवसर पर,अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव फाउंडेशन ट्रस्ट के तत्वावधान में जिला प्रशासन रांची व झारखंड सेनानी कोष गृहमंत्रालय झारखंड के संयुक्त सहयोग से हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी पारम्परिक रूप से समारोह का आयोजन कर अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर नमन किया गया। समारोह में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के झारखंड के संदर्भ में अमर शहीदों के परिजन एक संगठित परिवार के रूप में प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। समारोह का आयोजन अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव चौक सेक्टर तीन गोल चक्कर एचईसी धुर्वा में संपन्न हुआ।

छह महीने तक लिया था अंग्रेजों से लोहा, भगा कर दम लिया

बता दें कि अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव तत्कालीन बडकागढ़ आज की पूर्वी रांची के राजा थे।1857 के स्वतंत्रता आंदोलन में लगभग छह महीने तक अंग्रेजों को छोटानागपुर से खदेड़ कर भगा दिया था और रांची को स्वतंत्र घोषित कर दिया था। पूरे छोटानागपुर का शासन डोरंडा रांची से किया था। अंग्रेज़ी हुकूमत ने स्वतंत्रता आंदोलन के अगुआ होने के कारण 16 अप्रैल 1858 को जिला स्कूल रांची के प्रांगण में एक पेड़ पर लटका कर फांसी दे दी गयी थी। उनके हटिया गढ़ को भी चौबीस घंटे में तोप से उड़ा दिया था। उनकी पत्नी महारानी वानेश्वरी कुंवर ने अपने एक वर्ष के इकलौते पुत्र कपिल नाथ शाहदेव को लेकर अपने विश्वस्त सैनिकों के सहयोग से गुप्त वास में चली गई थीं। इस क्रम में जगन्नाथ पुर मंदिर को भी बड़का गढ़ राज्य के साथ अपने अधीन कर लिया था।

अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव की पत्नी महारानी वानेश्वरी कुंवर ने लड़ाई कर जगन्नाथपुर मंदिर को अंग्रेजों से ले ली थी और आज भी अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव का परिवार अमर शहीदों को उचित सम्मान दिलाने के दायित्व का निर्वहन पारम्परिक रूप से कर रहा है और अंग्रेजी हुकूमत की सजा के तौर पर अंग्रेजी हुकूमत के अधीन बड़कागढ़ को वापस पाने के लिए सफलतापूर्वक संघर्ष किया जा रहा है।

मामला अभी उच्च न्यायालय झारखंड में दायर है। झारखंड सरकार के द्वारा हलफनामा दायर कर न्यायालय को बताया गया है कि देश के लिए बलिदान देने के लिए शहादत सम्मान राशि के रूप में कुछ राशि शहीद के प्रत्यक्ष उतराधिकारियों को झारखंड सरकार के द्वारा प्रदान किया गया है,और यह भी कहा है कि बड़कागढ़ को जमींदारी उन्मूलन कानून के अंतर्गत सरकार में निहित नहीं किया गया है और न ही उन्मूलन के लिए कोई प्रक्रिया प्रारंभ किया गया है,ऐसी बात आने पर आवेदक के तौर पर प्रवीर नाथ शाहदेव के द्वारा न्यायालय से प्रार्थना में संसोधन की मांग की कि ऐसी स्थिति में सरकारी दस्तावेजों में अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के आवेदक प्रवीर नाथ शाहदेव एवं अन्य सभी प्रत्यक्ष उतराधिकारियों का नाम दर्ज कर दी जाये। संशोधन उच्च न्यायालय झारखंड के द्वारा संशोधन स्वीकार कर लिया गया है, और बहुत जल्द अग्रेतर कारवाई की संभावना है। शहीद परिजनों को भारतीय न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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