Jharkhands New GUV: राज्य सरकारों और राज्यपालों के बीच टकराव (Conflict between state governments and governors) कोई नयी बात नहीं है, बल्कि यह पहले से भी से होता आ रहा है। केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद गैर भाजपा शासित कुछ राज्यों में राज्यपाल और राज्य सरकारों के बीच टकराव खुल कर सामने आते रहे हैं। चूंकि राज्यपालों की नियुक्ति केंद्र सरकार ही करती है, इसलिए उन पर केंद्र के निर्देश पर काम करने के आरोप कई राज्यों में गैर बीजेपी सरकार की ओर से लगते रहे हैं। झारखंड के अलावा राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच पश्चिम बंगाल में भी हुआ टकराव इसका उदाहरण है।
टकराव के कई उदाहरण देखने को मिल चुके हैं
देश में राज्यपाल के पद के दुरुपयोग के कई उदाहरण देखने को मिले हैं, चूंकि राज्यपाल की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है, इसलिये वह राज्य में केंद्र के निर्देशों पर कार्य करता है और यदि केंद्र व राज्य में एक ही दल की सरकार नहीं है, तो ऐसे में राज्य की कार्यप्रणाली में काफी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। समय-समय पर ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं। राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण विगत कुछ समय में इस पद को लेकर भी प्रश्न उठते रहे हैं। हालांकि कई राज्यपाल ऐसी स्थिति में अपने विवेक का इस्तेमाल कर बीच का रास्ता अपना लेते हैं, ताकि राज्य सरकार और राजभवन के बीच टकराहट की स्थिति उत्पन्न न हो।
झारखंड में राजभवन और सरकार के बीच बढ़ी है खटास
झारखंड में गैर भाजपा राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच उभरी तल्खी इसका उदाहारण है। एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी और मुख्यमंत्री का हाई कोर्ट तक चले जाना यहां तक कि स्थापना दिवस समारोह के कार्यक्रम में राज्यपाल ने दूरी बना लेने की घटना से राजभवन और राज्य सरकार के बीच टकराहट खुल कर सामने आ गई थी। इस टकराव के पीछे का कारण माइनिंग लीज प्रकरण था।

कई मसलों को लेकर सुर्खियों में रहे थे रमेश बैस
देश की वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के झारखंड के गवर्नर के पद से हटने के बाद रमेश बैस को झारखंड का गवर्नर बनाया गया था। रमेश बैस (ramesh bais) अपने पूरे कार्यकाल के दौरान कई मसलों को लेकर सुर्खियों में रहे। विधानसभा से पारित कई बिल को अपनी आपत्तियों के साथ लौटाने के अलावा सीएम से जुड़े ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में चुनाव आयोग के मंतव्य पर तरह-तरह के बयान की वजह से चर्चा में रहे। सबसे खास बात है कि रमेश बैस अपने पूरे कार्यकाल के दौरान बार-बार कहते रहे कि बेशक वह संवैधानिक पद पर हैं, लेकिन उनका सीधा सरोकार जनता से है और जरूरत पड़ेगी तो वह प्रोटोकॉल भी तोड़ेंगे।
वरिष्ठ और सम्मानित भाजपा नेताओं में से एक हैं सीपी राधाकृष्णन
नए राज्यपाल की पृष्ठभूमि राजनीतिक रही है।(jharkhands New GUVs Appointed) झारखंड के नए राज्यपाल (Jharkhands New GUVs) सीपी राधाकृष्णन कोयंबटूर से दो बार भाजपा के लोकसभा सांसद रह चुके हैं। वह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी हैं (वर्तमान में)।1998 और 1999 के आम चुनावों में भाजपा के टिकट पर जीत भी हासिल कर चुके हैं।ऐसे में राजनीतिक गलियारे में इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या नए राज्यपाल के आने से सरकार और राजभवन के बीच रिश्ते मधुर होंगे या फिर तल्खी बढ़ेगी?
13 राज्यों के राज्यपाल बदले जाने के मायने
साल 2024 होने वाले लोकसभा चुनाव और इस साल होने वाले कई राज्यों के विधानसभा चुनाव के पहले देश के 13 राज्यों के राज्यपाल बदले जाने को राजनीतिक गलियारे में एक बड़ी राजनीतिक स्ट्राटेजी के तौर पर देखा जा रहा है। कई ऐसे राज्यों में जहां मौजूदा समय में गैर भाजपा शासित सरकार है, वहां राजपाल के फेरबदल का बड़ा असर होना माना जा रहा है। विशेषकर अगर कोई राजनीतिक उलटफेर हुआ या चुनावी नतीजे फंसे तो उस स्थिति में इन राज्यपालों की भूमिका अहम हो जाएगी।
राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए गए राज्यपालों और उपराज्यपालों की लिस्ट
1.लेफ्टिनेंट जनरल कैवल्य त्रिविक्रम परनाइक, राज्यपाल, अरुणाचल प्रदेश 2. लक्ष्मण प्रसाद आचार्य, राज्यपाल, सिक्किम 3. सीपी राधाकृष्णनन, राज्यपाल, झारखंड 4. शिव प्रताप शुक्ला, राज्यपाल, हिमाचल प्रदेश 5. गुलाब चंद कटारिया, राज्यपाल, असम 6. रिटायर्ड जस्टिस एस. अब्दुल नजीर, राज्यपाल, आंध्र प्रदेश7. बिस्वा भूषण हरिचंदन, राज्यपाल, छत्तीसगढ़ 8. अनुसुईया उइके, राज्यपाल, मणिपुर9. एल. गणेशन, राज्यपाल, नगालैंड 10. फागू चौहान, राज्यपाल, मेघालय 11. राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, राज्यपाल, बिहार 12. रमेश बैस, राज्यपाल, महाराष्ट्र 13. ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) बीडी मिश्रा, उपराज्यपाल, लद्दाख। इनमे से कई राज्य ऐसे हैं जहां गैर बीजेपी सरकार है।
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